Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

नये साल में

 

नये साल में

लिखूंगा एक पूरी कविता.

गाऊँगा

पूरे स्वर में कोई मुक्तिगान.

ढ़ूढ़ूंगा

कुछ पूरे दोस्त.

भले नया न हो

पर देखूंगा एक पूरा स्वप्न.

जीना चाहूंगा एक पूरी ज़िदगी.

भटकूंगा

पूरेपन की तलाष में पूरे साल!

 

..................अशोक कुमार पाण्डेय

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ