Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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नारी के सम्मान में

 

आदि शक्ति नारी सदा, मधुरिम स्वर सम साज|
ममता ही सौन्दर्य है, आभूषण है लाज ||

 

नर से नारी है नहीं, नारी से नर होय |
नारी की महिमा अगम, समझ न पाये कोय ||

 

नारी से ही जग हुआ, अनुपम उसका प्यार |
नारी के सानिध्य से, मीठी सुखद बयार ||

 

माता का वह रूप है , सिर पर उसका हाथ |
पत्नी के भी रूप में, सदा निभाती साथ ||

 

नारी बिन होता नहीं, पूरा घर परिवार |
भाभी, भगिनी हैं, सहित उसके रूप हजार ||

 

नारी को जग पूजता, सब हैं उसके लाल |
जो कुदृष्टि से देख ले , खींचो उसकी खाल ||

 

बेशकीमती बालिका, चाहे हो गर्भस्थ |
अब जैसे भी हो सके , उसको रखना स्वस्थ ||

 

छोड़ो रीति कुरीति सब, मिलकर करो प्रयास |
नारी को सम्मान दो , उस पर हो विश्वास ||

 

 

--अम्बरीष श्रीवास्तव

 

 

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