Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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ना ज़िन्दगी आती है...ना मौत आती है

 

ना ज़िन्दगी आती है...ना मौत आती है
कि जानेमन बस तू ही तू....याद आती है

 

दिल की ज़मीन पे कि यादें सूरज सी चमकती है
और मेरी आंखों से बरसात आती है

 

कहीं तन्हाइयो में कि खो जाता है मेरा दिल
महफिल में जब कभी तेरी बात आती है

 

कभी तो होगी सुबह इस उम्मेद में जीता हूँ
हर जुदाई के बाद मुलाकात आती है

 

शायद छट जायेगा कोहरा फिर निकलेगी धूप
कि मन में विपुल इस तरह की बात आती है.................विपुल

 

 

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