Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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पूरे चाँद की रात

 

आज फिर पूरे चाँद की रात है ;
और साथ में बहुत से अनजाने तारे भी है...
और कुछ बैचेन से बादल भी है ..

 

 

इन्हे देख रहा हूँ और तुम्हे याद करता हूँ..

 

 

खुदा जाने ;
तुम इस वक्त क्या कर रही होंगी…..

 

 

खुदा जाने ;
तुम्हे अब मेरा नाम भी याद है या नही..

 

 

आज फिर पूरे चाँद की रात है !!!

 

 

विजय कुमार सप्पत्ति

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