Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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समझ-समझ का फेर

 

दमक रहा था घर
गुंजन का
बना था माहोल
मनोरंजन का।

चल रहा था नाच-गाना
खिला था चेहरा
जन-जन का
दमक रहा था घर
गुंजन का।

चारों ओर छाया है मातम
फिर क्यों चमक रहा है
ये घर प्रीतम
आश्चर्य भरा सवाल था
राही रौनीजा का
दमक रहा था घर
गुंजन का।

मत करो आश्चर्य राही
बाप बनने वाला है
अपना गुंजन भाई
प्रमोद भरा उत्तर था
ग्रामीण जनों का
दमक रहा था घर
गुंजन का।



अन्य भी तो बाप हैं
इसमें क्या नई बात है
हैरानी भरा सवाल था
राही रौनीजा का
दमक रहा था घर
गुंजन का।

अन्य सब छोरियों के बाप हैं
गुंजन को आशा है
छोरे की
कटाक्ष भरा उत्तर था
ग्रामीण जनों का
दमक रहा था घर
गुंजन का।

इतने में, भागी-भागी
गोल-´Ö™üÖê»Ö दाई आई
लक्ष्मी आई, लक्ष्मी आई
ये घबर सबको सुनाई
सुनकर घबर
चेहरा उतर गया
परिवार जनों का
अब काला हो रहा था घर
गुंजन का।

सुनकर घबर बेटी की
भारत में
क्यों छाता है मातम
उत्तर दो मेरे प्रीतम
दर्द भरा सवाल था
राही रौनीजा का
काला हो गया था घर
गुंजन का।

समझ-समझ का फेर है
समझने की देर है
जिसने समझा
वहाँ किरण और कल्पना का
फेर है
आशा और विश्वास भरा उत्तर था
प्रीतम का
सुनकर ये
फिर से दमकने लगा था घर
गुंजन का।

 

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