Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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हमारा नाम ले-लेकर हवा जब गुनगुनाएगी

 

हमारा नाम ले-लेकर हवा जब गुनगुनाएगी।
सनम तुम ध्यान से सुनना मिरा पैगाम लाएगी।।

 

करें क्या रात भर सोने नहीं देता दिले-नादाँ।
सुबह तो वक़्त से पहले न आई है, न आएगी।।

 

रखी तारीफ़ की शर्तें यहाँ सरकार सी उसने।
करो तो ठीक है वर्ना सितमगर रूठ जाएगी।।

 

कहाँ छुपना अभी से देख ले कोना अँधेरे तू।
यकीं है ये, जलेगी जब शमा जलवे दिखाएगी।।

 

इसी उम्मीद को लेकर लिखी है 'सिद्ध' ने यारा।
ग़ज़ल मेरी कभी उनके लबों का साथ पाएगी।।

 

 

ठाकुर दास 'सिद्ध'

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