Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

मुझे बचा लो मां

 

 

bachalo

जहान की तू परवह न कर

दहेज की छोड़ दे फिकर

सम्मान तेरा बढ़ाऊंगी मैं

आंगन तेरा सजाऊंगी मैं

जिस पुत्र की है तुझे चाह

वो तो है अंश मेरा

जब मैं ही नहीं आऊंगी दुनिया में

कहां से लाऊंगी संतान तेरी

बेटी का गर किया त्याग तुमने

बेटे की बहु कहां से पाओगे

ना कर जुदा खुद से मुझे

मैं तो हूं अक्स तेरा

मुझे जब मिटाओगे

मां कहकर किसे बुलाओगे

कलाई रह जाएगी सुनी

बहन को जो दफनाओगे

आज जो मुंह मोड़ोगे मुझसे

कल इस दुनिया में कहां से आओगे?जहान की तू परवह न कर
दहेज की छोड़ दे फिकर
सम्मान तेरा बढ़ाऊंगी मैं
आंगन तेरा सजऊंगी मैं
जिस पुत्र की है तुझे चाह
वो तो है अंश मेरा
जब मैं ही नहीं आऊंगी दुनिया में
कहां से लाऊंगी संतान तेरी
बेटी का गर किया त्याग तुमने
बेटे की बहु कहां से पाओगे
ना कर जुदा खुद से मुझे
तो हूं अक्स तेरा
मुझे जब मिटाओगे
मां कहकर किसे बुलाओगे
कलाई रह जाएगी सुनी
बहन को जो दफनाओगे
आज जो मुंह मोड़ोगे मुझसे
कल इस दुनिया में कहां से आओगे?

 

 

 

Tarni Sonkar

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ