Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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तलाश

 

तलाश

असंख्य चेहरों में
आँखें टटोलतीं है
एक अप्रतिम चित्ताकर्षक चेहरा
- जो प्रसन्न-वदन हो
- जो ओस की नमी और गुलाब की ताजगी से भरी हो
- जो ओज, विश्वास और आत्मीयता से परिपूर्ण
- जो बचपन सा निष्पाप
- जो योगी सा कान्तिमय और
- जो धरती-सी करुणामयी हो

मैं खोजता हूँ
बारंबार खोजता हूँ

देखता हूँ -
एक चेहरा - झुर्रियों से पटा हुआ
एक चेहरा - कलियों सी शोख पर तमतमाया और जर्द

एक चेहरे पर नकाब लगा है
एक का चेहरा तृषाग्नि में झुलसा है
तो कहीं हिंसा-प्रतिहिंसा की मुद्राएँ तमक रही हैं

वह चेहरा कहाँ पाऊँगा
जो एक आदमी का असली चेहरा होता है ?
       【 इसी काव्य पुस्तक से
 

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