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पिता- पुत्र

 

''पिता- पुत्र" (कथा )-सुखमंगल सिंह


  समाज में प्रचलन में है कि अंत  समय में पुत्र  काम ही आते हैं|  ऐसी वृत्ति समाज में व्याप्त है। परंतु यह सब कहने और बताने की आदत है | वास्तविकता इससे अलग भी देखने सुनने में आता  है।

        साधक नाम का एक व्यक्ति जो  इंजीनियर के पद पर आसीन था  ,उसके पास एक मात्र एकलौता पुत्र कल्पना  नाम का था  जिसको बड़े लॉर्ड प्यार के साथ माता _ पिता ने  उसको  शिक्षा दीक्षा दी। साधक का अपना एकलौता पुत्र पढ़ाई इंजीनियरिंग की पूरी करने के बाद अमेरिका में एक मल्टीनेशनल , नेशनल कंपनी में इंटरव्यू के बाद चला गया। वहां से साधक  का लड़का लगभग डेढ़ वर्ष तक अपनी माता-पिता से प्रति दिन फोन पर बात कर लेता था और अपनी माता-पिता का हाल चाल ले लिया करता। लेकिन बाद में फोन का आना बंद हो गया | 
         इधर साधक भारत के  एक कंपनी में डी जी एम के महत्वपूर्ण पद पर कार्यरत थे उन्हें अच्छा खासा पगार मिला करती थी जिससे खुद और अपनी पत्नी की देखभाल करने के लिए बहुत था । इसके  बाद भी उनके पास पैसे बच गया। लड़के की पढ़ाई के समय उनके हौसले काफी बुलंद थे , इसकी वजह से उन्होंने अपने बच्चे की पढ़ाई में कोई कोर-  कसर नहीं छोड़ सकते थे। शिक्षा के दौरान लड़का  ने जितना पैसा अपने पिता से मांग की ,उसकी पूर्ती  पिता साधक ने किया।
              अमेरिका जाने के बाद साधक का पुत्र कल्पना 1:30 वर्ष  के बाद ही बदल चुका था। उसने  अपने माता-पिता को बिना बताए ही प्रेम विवाह कर लिया। लड़की समकक्ष थी |  प्रेम बढ़ने पर दोनों ने अपनी मर्जी से शादी के बंधन में बंध गए।
      कल्पना के माता- पिता के पास फोन होना बंद हो गया और उसके(पुत्र ) की  शादी के लिए लड़की वाले आने लगे।
शादी का प्रस्ताव ज्यादा आने पर साधक ने अपने लाडले लड़के कल्पना को फोन करके घर पर बुलाया । कुछ दिनों का समय लेकर वह हवाई जहाज से एयरपोर्ट पर उतरा उसके पहले ही उसने अपने पिता को फोन से आने की सूचना दे दी।
कल्पना की आने की सूचना गांव में भी फैल गई । साधक का पुत्र अमेरिका से प्लेन पर चढ़कर आएगा।
गांव में भी उल्लास था पिता माता उमंग और उल्लास से कल्पना की उड़ान की जहाज देखने के लिए आकाश में टकटकी लगाए जाते थे।
        नियत समय पर प्लेन आने वाला है यह जानकारी मिलती कि साधक ने ड्राईवर के साथ  बातानुकूलित गाड़ी  उनको लेने के लिए  हवाई अड्डे पर भेज दिया।
     पिता द्वार भेजी गई गाड़ी पर सवार होकर कल्पना अपने घर पर पहुंच गया। गाड़ी को देखकर गांव के बच्चे कल्पना आ गए ,कल्पना आ गए करते हुए दौड़ पड़े।
गांव पहुंचने का गांव के लोगों में  भी बहुत खुशी जाहिर की। क्योंकि उस गांव से अमेरिका जैसे विकसित देश में काम करने वाला शख्स एक मात्र कोई था तो वह कल्पना ही है। गाड़ी से उतरते ही माता-पिता अवाक रह गए और आपस में कानाफूसी कहने लगे ,उधर गांव के लोग भी मुंह मुंह होने लगा।
कल्पना के माता पिता ने कल्पना के साथ एक पैंट सर्ट में लड़की और बीस बाईस  साल का लड़का देखा ।जीनको  देखकर सोच में पड़ गये।
धर्म और समाज का पालन करते हुए साधक की पत्नी पूरी , सब्जी ,खीर ,पूआ, चटनी - अचार के साज के साथ अन लोगों को भोजन कराने की तैयारी की। 
टेवल लगाया गया काटा चम्मच से तीनों भोजन करने लगे।
       उन लोगों के विश्राम की व्यवस्था दी। जैसा डागौर उनकी पत्नी आपस में बातें करते की लड़की कौन है और उसके साथ लड़का! चाय का समय हुआ ।सा धक की चाय बनाने चली । मा को किचन की तरफ अग्रसर होते देख कर कल्पना ने बेलबॉटम वाली को कहा जा  चाय बना ला। इतना सुनकर उस लड़की ने मौके नौकर  से कहा जाओ 5:00 कब चाय बनाकर लाओ।
            यह सब शुभ सुनकर साधक ने चुप्पी तोड़ी उन्होंने कहा बेटी मां को तुम्हारे हाथ का चाय पिना है। तुरंत बेलवा टम वाली लड़की ने जवाब दिया, नौकर इसलिए है। मेरी भी पगार कल्पना से कम नहीं है मैं भी इंजीनियर हूं और उसके समकक्ष की हूं।
            कल्पना के पिता  को बात समझने में आसानी हो गया यद्यपि वह बात  तीर की तरह लगी। उसी समय कल्पना को एकांत में बुलाकर साधक ने बेलबॉटम  वाली लड़की का परिचय पूछा।
            यह ज्ञात हुआ कि वह साधक के पुत्र की प्रेम विवाह से संबंधित स्थापित धर्म विपरीत पत्नी है। फिर तो पिता के ऊपर पहाड़ ही मानो टूट गया। सोचने विचार करने लगे कि जिन लोगों को कल्पना के शादी  का वचन दिया था उनसे क्या कहूंगा ।
               दो दिन बाद ही कल्पना और उसके साथी वापस अमेरिका जाना चाहा और चले गए। घर पर प्रवास के दौरान माता - पिता से उन्होंने जो  व्यवहार किया उनसे माता पिता को बहुत दुख हुआ। विदा करते समय कल्पना के पिता ने कहा जा बेटा अब अमेरिका ही  बस जा रसिया यहां आने की कोई आवश्यकता नहीं।
माता पिता का खिन्न होकर अपनी पूरी संपत्ति को भाई के न चाहने के बाद भी अपने पैसे से बैनामा भाई के हक में कर दिया।
- सुख मंगल सिंह,अवध निवासी



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