Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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"जीवन यात्रा"

 

"जीवन यात्रा"

समय समय पर समय बदल जाता है। कभी मिठास कभी खटास लेकर आता है। एक समय ऐसा भी होता है। जब मनुष्य हकीकत से दूर एक ख्वाब की  दुनिया में चला जाता है। परंतु संयोग बस हकीकत से रूबरू होना चाहता है। सच्चा इंसान कहीं भी रहता है सो वहां वह जगमगाता है।-

जैसे कांटों के बीच रहकर गुलाब मुस्कराता है,
वैसे ही मुश्किल में सच्चा इंसान जगमगाता है।।
ख्वाब को टूटने पर दूसरों को दोष देते हैं। चिल्लाते हैं झल्लाते हैं, मन नहीं मन गुस्सा में आते हैं।-
मुश्किल वक्त का सबसे बड़ा सहारा होता है 'उम्मीद '!
जो है लकी गहराइयों से निकल का कानों में कह जाती है।।
और वह पुनः खुद को वक्त के साथ बदलने का प्रयास करता है।-
हां जिंदगी एक सफर है सुहाना।
इसी रास्ते से हर किसी को जाना।।
जिससे नफरत करते थे उन्हीं के सांचे में ढलते चले जाते हैं जिसका एहसास तक नहीं होता है।-
चंदन की लकड़ी जिस प्रकार गुण कारी होती है।
सीख अच्छी कहीं से मिले वह लाभकारी होती है।।
उन्हीं के साचे में इस तरह ढलते चले जाते हैं कि उन्हीं के शक्ल ले, बनते जाते हैं।-
करते रहो कोशिश यह, जरूर रंग लाएगी।
थोड़ा सब्र काम आएगा ,थोड़ी हिम्मत काम आएगी।।
और फिर वक्त बदलता है नये अहसासों में डूबते जाते कहां कहीं कुछ छूट रहा है हमसे !-
जीवनी यह अवसर है श्रेष्ठ करने का!
श्रेष्ठ बनने का और क्षेष्ठ पाने का।।
                      *
जीवन जी मूल्यवान, संपत्ति इंसान पा ले।
अगर वो सच को अपना बना ले।।
कुछ तो तुमको हुई हमसे!-
यादें हवा की तरह होती हैं  ंंंं
आंखों को दिखती नहीं,
लेकिन मन को छू जाती हैं।।
हमसे और फिर हम! गुजरे पलों के समीकरण के आकलन करने में लग जाते हैं।-
हर कोशिश में शायद,
सफलता नहीं मिल पाती!
लेकिन हर सफलता की पीछे,
कोशिश ही होती है।।
यह सब कुछ एक कर हैरानी होती है। कहा गया है कि-
मन का मेल हो तो,
सूखी रोटी भी मीठी लगती है।
और मन भेद हो तो,
काजू बादाम कड़वे लगते हैं।।
हैरानगी के बीच जब खुद को दूसरों से अलग नहीं कर पाते हैं, जबकि जन्म जन्मांतर ही सबका अलग-अलग होता है। मरण भी अलग ही होता है।
हमें अंधकार और अकड़ से दूर रहना होगा।-
जीवन के ---अंधकार और अकड़!
दोनों ही दुश्मन हैं।
यह ना किसी को आपका होने देते हैं।
और ना कोई आपका होना चाहता है।।
   वक्त ने इन्हीं समीकरण में उलझ कर रहना चाहता है। समीकरण को सुधारने में समय लगता है। वक्त तक तक बदल आता है समय बहुत गुजर जाता है। जिंदगी अगले पड़ाव की तरफ बढ चुकी होती है। इसीलिए कहा गया है कि-
लाख दलदल तो भी,
अपनापन जमाए रखियो!
हाथ खाली भी और सही,
उसे ऊपर उठाए रखियो।।
कौन कहता है कि छननी में,
पानी कभी रुक नहीं सकता!
उसको वर्ष बनने तलक तो
अपना हौसला बनाए रखियो।।
परंतु कहा गया है कि आशा को कभी नहीं खोना चाहिए आशा बनाए रखना हमारा और हमारे जीवन का उद्देश्य होना चाहिए।-
जो निराशा को देखते नहीं,
वह आशा कभी खोते नहीं!
जो प्रयत्न से जीना जानते हैं,
वे हालत पर कभी रोते नहीं।।
जीवन यात्राओं के 65वर्ष गुर्जर गए, कभी खुशी और कभी गम ने सफल गुजरता रहा।-
जिनके लिए निकले सफर में,
उनका वो पता नहीं चल सका!
मंजिल मिली मेरी उनसे ही है,
मंदिर तक पहुंचूंगा  खबर नहीं।।
चारों तरफ इधर-उधर ऊपर नीचे दाएं बाएं जिधर भी देखा उधर ढूंढने में लगे हुए थे। 
कभी खबर ना ली अपने दिल की,
सफर में हूं ही चलता सदा चल रहा।
हर सफर जिंदगी का सुहाना होता,
हम भले कहते कल न बताना होगा।।

- सुख मंगल सिंह








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