वट सावित्री पूजा
वट सावित्री पूजा जेठ माह की कृष्ण अमावस्या को मनाई जाती है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए व्रत रखती हैं और बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं।
*पूजा का महत्व*
वट सावित्री पूजा में बरगद के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है। इस पेड़ में त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना जाता है। महिलाएं वट वृक्ष के पास पहुंचकर धूप, दीप, नैवेद्य से पूजा करती हैं और रोली, अक्षत चढ़ाकर कलावा बांधती हैं।
*पूजा की विधि*
पूजा में महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और रंग-बिरंगे परिधानों में सज-धजकर पूजा करती हैं। वे वट वृक्ष की सात परिक्रमा करती हैं और जल पंखे का दान करती हैं।
*पौराणिक कथा*
वट सावित्री पूजा की पौराणिक कथा के अनुसार, सावित्री ने अपने पति सत्यवान को यमराज से वापस पाया था। सावित्री की पतिव्रता शक्ति और प्रेम के कारण यमराज ने सत्यवान को जीवनदान दिया था।
*वट सावित्री पूजा का संदेश*
वट सावित्री पूजा का संदेश है पतिव्रता शक्ति और प्रेम की महत्ता। यह पूजा महिलाओं को अपने पति के प्रति समर्पण और प्रेम की भावना को मजबूत करने के लिए प्रेरित करती है।
*कविता: "वट सावित्री पूजा"*
वट सावित्री पूजा का दिन है,
सुहागिन महिलाओं का व्रत है।
बरगद के पेड़ की पूजा है,
पति की लंबी उम्र की कामना है।
सोलह श्रृंगार कर सजती हैं,
रंग-बिरंगे परिधानों में।
वट वृक्ष के पास पहुंचकर,
धूप, दीप, नैवेद्य से पूजा करती हैं।
रोली, अक्षत चढ़ाकर कलावा बांधती हैं,
सात परिक्रमा कर जल पंखे का दान करती हैं।
सावित्री की पतिव्रता शक्ति की कहानी,
पति के प्रति प्रेम की महत्ता बताती है।
वट सावित्री पूजा का संदेश है,
पति के प्रति समर्पण और प्रेम की भावना।
महिलाएं अपने पति के लिए करती हैं व्रत,
पति की लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना है।।
- सुख मंगल सिंह
वरिष्ठ साहित्यकार कवि एवं लेखक
Sukhmangal Singh
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