Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

ठाकुर धाम जगन्नाथ पुरी

 

"ठाकुर धाम जगन्नाथ पुरी"

बड़ ठाकुर भले विराजत जगन्नाथ पुरी धाम में,
बलभद्र भैया के साथ में।
छोड़ी मथुरा और छोडी काशी,
झारखंड से आए विराजित वृंदावन धाम रे!
बलभद्र भैया के साथ में।
सतयुग छोड़ो मथुरा धाम, द्वापर छोड़ो काशी,
बंगाली खिचड़ी - भात पर लुभाई ठाकुर बन बनवासी,
बलभद्र भैया के साथ में।
साधु मांगत ठाकुर से दर्शन देवी सुभद्रा हूं पास में,
बलभद्र भैया के साथ में।
दाल भात परवर की भाजी मिलता ठाकुर धाम रे,
महाप्रसाद पाकर खुश होता मानुष तेरे नाम पर,
बलभद्र भैया बैठे हैं तेरे धाम में।
गांव की राहों में बाग बगीचा गली-गली फुलवारी,
दोनों किनारा स्मार्ट लगत है तेरा नाम पुकारे,
बलराम जी बैठे हैं तेरे द्वारे।
घर घर नारियल घर घर केला ठाकुर की है वारी,
साथ बिराजे सुभद्रा बलराम मुरारी।
कोस भर पर बस अड्डा डेढ़ कोस स्टेशन रेल,
टेंपो से तेरे धाम पहुंचते देसी विदेशी नर नारी।
ठाकुर दर्शन को आय शब्दों से दर्शन भारी!
चट्टी - चट्टी बनियान लूटी जात्री पर पड़े भारी,
ठाकुर मंदिर ध्वज पताका देख ह्रदय प्रणाली सारी,
सारा दु:ख दियो ठाकुर विसारी।
बलभद्र ठाकुर बैठो जगन्नाथ धाम तैयारी,
दास- दासी मिलकर गावत सोहर ठाकुर गारी,
देवी सुभद्रा तारण हारी।
चारों द्वार चंदन से सोहत खंभे की महिमा न्यारी,
धन्य भयो मंगल दर्शन दे सुभद्रा तारण हारी,
बलभद्र की महिमा न्यारी।
पंडा आर महापात्रा साथ पास में, दर्शन कर आयो मा रो,
दर्शन सम्मुख ठाकुर दीनू छवि बरनी ना जा रे,
धाम जगन्नाथ पुरी उड़ीसा न्यारी।
क्षेत्र अयोध्या को वासी सुख मंगल,
निवासी काशी से क्यों बयान रे,
उड़ीसा जगन्नाथ पुरी पहुंचकर,
गायो ठाकुर गान री।
जय - जय श्री अयोध्या पुरी धाम की,
जय हो उड़ीसा जगन्नाथ पुरी धाम की।
- सुख मंगल सिंह, अवध निवासी




Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ