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सोशल साइट पर सुखमंगल सिंह (डायरी )जुलाई -अगस्त १९

 

"सोशल साइट पर सुखमंगल सिंह (डायरी )जुलाई -अगस्त १९"

जीवम में प्रत्येक मनुष्य के कुछ रचने की कला होती  है | इक्षा होती है | संस्कार होता है | विचार होते हैं | 

वचन विविध प्रकार होते है | खोज करते हैं शोध करते हैं | मन मगन होता है वह दुखी होता है | साधक 

साधना करता है बाधक बाधित करते हैं | क्रम चलता रहता है जीवन का पल पल कटता रहता है | कवि 

मन मगन कहता -"मेरे देवता मंगन हैं "

-कोई हो गया हमारा ,

मेरी कल्पना से पहले !

मेरा देवता मगन  है ,

मेरी वंदना से पहले | 

कहीं हाथ क्या फैलाएं ,

कहीं शीश क्या झुकाएं !

मुझे मिल गया है यूं ही ,

मेरी याचना से पहले | 

रचनाएं रचना मानव स्वाभाव में रचा बसा होता है | गांव गिरांव ,नदी की तलहटी पहाड़ों के शिखर ,

आकाश पाताल सर्वत्र रचनाएं गुंजायमान है | सभी रचनाओं का अपने आप में महत्त्व है | कौन सी 

किसको भ जाए यह हृदय की अनुभूतियों में महसूस किया जा सकता है | उन्हों कुछ रचनाओं की 

झांकी कहाँ विखरी हैं उन्हें दिखने का प्रयत्न किया गया है |-

जलवायु परिवर्तन -ग्लोबल वार्निंग ,स्वर्गविभा -अंतरजाल पत्रिका अंक :जून २०१८ ,आंसू पोछ तू 

अपनी हिंदी २२/९/२०१३  , इच्छाएं एवं भावनाएं ६/१२/२०१४ , चौधरी चरण सिंह जयंती २३/१२/२०१९ 

,हिंदी सा ० का संकलन में  , समीक्षा -कवि सुखमंगल सिंह की काव्य साधना (प्रथम खंड ई बुक ) 

प्रका० एलोपोयट्री २६/७/२०१९ | पानी बचाइये ,हिन्दी कविता में २७/७/२०१९ | क्या है काशी का इतिहास 

-फेसबुक दैनिक हिन्दुस्तान २६/७/१९,मंगल विचार (ईमानदार राजा ) अनहद साहित्य में२७/७/१९ 

 ऐसा जतन करें व अपनी अंजुरी में भर भर ,सुखमंगल के दो नवगीत २६अगस्त २०१९,  खुशियां बाट 

रहा मौसम, ९अगस्त १९   कथा चक्र मारीशस से प्रकाशित पत्रिका में, समीक्षा - सुखमंगल सिंह व्यापक 

फलक के रचनाकार हैं ,स्वर्गविभा में ,"उड़ीसा साहित्यिक -धर्म यात्रा' परिपूर्ण कॉपी फेसबुक पर १०/८/१९ 

मैं कवि हूँ सरयू तट का ,शब्द नगरी में १४/८/१९,पढ़ा - अहमदाबाद-द्वारिका यात्रा ,स्वर्गविभा में जुलाई

 ११,२०१९ के प्रकाशित ,कृष्ण -दर्शन के अभिलाषी ,प्रतिलिपिकाम १८/८/१९ ,प्राचीन काशी का इतिहास ,

धर्म संसार, विश्व  हिन्दी संस्थान और डा विदुषी शर्मा की पोष्ट में २८/८/१९,अभियान गीत ,माह की 

कविताओं में ,जल जीवन आधार ,हिंदी व्याकरण में पोष्ट किया २९/८/१९| 

कवि हूँ मैं सरयू तट का ,स्वर्गविभा व् सावन में ३१/८/१९ समीक्षा पुस्तक ,हिंदी विकिपीडिया ३१/८/१९ ,

कथा सार ,शब्द नगरी में ३१/८/१९, कवि हूँ मैं सरयू तट का (भाग -२)हिन्दी लेखक परिवार में ५/९/१९,

           साहित्य परिषद में ऐसा जतन करें ,हिन्दी कविता संग्रह में -सुखमंगल के गीत सुनाएँ ,भाषा 

सहोदरी में कवि हूँ मैं सरयू तट का वही कानपुर के रचनाकार फेसबुक में २१/९/१९, भारत के कवि एवं 

कवियित्रियाँ में बताना होगा ,भाषा सहोदरी हिन्दी में मानुष कुल में जन्म ,गाँव की माटी में मंगलगीत ,

विश्व कथा साहित्य (विश्व साहित्य की कालजयी कृतियाँ के अनुवाद  में क्या करना नहीं चाहिए ३२/९/१९ | 

        मंगल फाण्ट की कविताओं को क्रमबद्ध किया २४/९/२०१९ को ! दिनांक ३/१०/२०१९ तक फेसबुक 

कोलाहल से दूर,स्पंदन ,काव्यवाटिका ,प्रतिलिपिकांम ,कथाविम्ब ,पत्रिका साहित्य-सुषमा फेसबुक आदि 

पर मेरी रचनाएं प्रकाशित हुईं | 

       सभी साइट प्रबन्धक ,सम्पादक ,सहयोगो पाठकों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई | 

                                      ॐ शांतिः   ॐ शांतिः ॐ शांतिः

 सुखमंगल सिंह 

अवध निवासी 

 

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