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Dr. Srimati Tara Singh
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शिव स्थापना - रावण आचार्य

 


शिव स्थापना - रावण आचार्य

जामवंत, दशग्रीव राज्य में पहुंचे बनके राम का दूत,
लंका के प्रहरी देते रहे उन्हें, डगर डगर पे नव स्वरूप।
लंकेश को ज्ञात जब हुआ, राम का अतुलित दूत आया,
अपने सभा भवन में उनको, आसन पर बिठाया।
आने का प्रयोजन पूछ कर, आचार्य रूप कार्य निभाया,
शिव स्थापना में पूजा सामग्री ले, चलने का भाव आया।
अशोक वाटिका में जाकर रावण, यह सीता को बतलाया,
शिव स्थापना में तुम्हारी जरूरत, वहां तुझे है चलना।
मेरे आदेशनुसार फिर लंका में, तुम्हें वहां से है आना,
जनक नंदिनी को पुष्पक विमान में बैठा, समुद्र पार किया।
श्री राम के पास पहुंचकर वह ,शिवस्थापना के राज कहा,
विधि विधान से श्री राम - जनक नंदिनी से पूजा कराया।
    पूजन कार्य निर्विघ्नं कराके          अपने चलने की बात कहा,
   ब्राम्हण खाली हाथ ही जाए     रघुकुल की यह रीत नहीं।
    गुरु दक्षिणा की बात जब रावण  के सामने आई,
   रावण - राम से गुरु दक्षिणा, का संकल्प कराया।
     संकल्प कठिन, साधारण               मानव, संभव कर नहीं पाता,
    मेरे मृत्यु के समय आप सामने        रहें,ऐसा संकल्प कराया।।

- सुख मंगल सिंह अवध निवासी

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