Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

सरयू का उद्गम

 

सरयू का उद्गम 


सरयू - गंगा दोनों बहनों का
हिमालय में उद्गम - स्थल है
काली नदी नाम धारण कर
बहुत दूर तक वही पहल है
घाघरा नाम कहावत का
कवि हूँ मैं सरजू - तट का

राम- लक्ष्मण – भरत – शत्रुघ्न
चारों पुत्रों ने जन्म लिया
चांडीपुर ,चंद्रिका धाम में जाकर
गुरुजनों से शिक्षा ग्रहण किया
ज्ञान मिला हमको घट घट का
कवि हूँ मैं सरयू - तट का
कवि हूँ मैं सरयू तट का 

गंगा – सरयू मिलन जहां पर
सभी वहाँ खेलने जाते थे
और वहीं आखेट की विद्या
गुरु शृंगी से पाते थे
रहा नहीं कोई भी खटका
कवि हूँ मैं सरयू - तट का

विश्वामित्र यज्ञ- रक्षा को

श्री राम – लक्ष्मण हुये रवाना

ताड़का और सुबाहु जब मरा

खुशियों का न रहा ठिकाना

ध्यान लगाये जनकपुर – गंगा तट का

कवि हूँ मैं सरयू - तट का-

कवि हूँ मैं सरयू तट का |- सुखमंगल सिंह


-- 

Sukhmangal Singh

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ