"रोहन की जिंदगी"
रोहन एक साधारण व्यक्ति था, जिसने अपने जीवन में कड़ी मेहनत की और 39 वर्षों तक सेवा की। उसने अपने जीवन के सभी वर्षों में अपने परिवार के लिए काम किया और अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए अपना सारा पैसा खर्च कर दिया।
*बच्चों की पढ़ाई*
रोहन के तीन बच्चे थे, और उसने उनकी पढ़ाई के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। उसने अपने फंड का पैसा उनके लोन भरने में लगा दिया, ताकि वे अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकें। रोहन को उम्मीद थी कि उसके बच्चे बड़े होकर उसकी देखभाल करेंगे और उसके बुढ़ापे में उसका सहारा बनेंगे।
*लड़की की शादी*
जब रोहन के बच्चे बड़े हुए, तो उसकी लड़की की शादी का समय आ गया। रोहन ने अपनी लड़की की शादी के लिए और कर्ज लिया, जिसे वह कई वर्षों तक भरता रहा। उसने सोचा कि यह उसके बच्चों के लिए किया गया निवेश है, जो भविष्य में उसके लिए फायदेमंद होगा।
*बच्चों की नौकरी*
जब रोहन के बच्चे नौकरी करने लगे, तो वे अपने खर्च में लग गए। वे अपने जीवन को आगे बढ़ाने में व्यस्त हो गए और रोहन को भूल गए। रोहन ने सोचा था कि उसके बच्चे उसकी देखभाल करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
*रोहन की स्थिति*
अब रोहन अकेला था और अपने जीवन के अंतिम पड़ाव पर था। उसने अपने जीवन में कड़ी मेहनत की थी, लेकिन उसके बच्चे उसकी देखभाल नहीं कर रहे थे। रोहन ने अपने आप को समझ लिया था कि अब वह अपने लिए ही जिम्मेदार है और ऊपर वाले पर भरोसा करके संतोष कर रहा था।
*निष्कर्ष*
रोहन की कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में कड़ी मेहनत करना और अपने परिवार के लिए काम करना महत्वपूर्ण है, लेकिन यह भी महत्वपूर्ण है कि हम अपने बच्चों को अपने माता-पिता के प्रति जिम्मेदारी की भावना सिखाएं। रोहन की कहानी हमें यह भी सिखाती है कि जीवन में संतोष और ऊपर वाले पर भरोसा करना कितना महत्वपूर्ण है।।
- सुख मंगल सिंह
वरिष्ठ साहित्यकार कवि एवं लेखक
Sukhmangal Singh
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