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पोता और दादी की कहानी

 

पोता और दादी की कहानी


एक छोटे से परिवार में एक बुजुर्ग दादी रहती थी, जो अपने परिवार के साथ रहती थी। दादी के साथ उनके बेटे, बहू और पोते-पोतियाँ रहते थे। लेकिन परिवार में एक समस्या थी - दादी के पोते, यानी पोता जी, को शराब पीने की आदत थी।

जब पिता जी शराब पीते थे, तो वह अपने परिवार के साथ बहुत बुरा व्यवहार करते थे। वह दादी को गाली देते थे, चाची को मारते-पीटते थे और बच्चों को डांटते-फटकारते थे। घर में हमेशा तनाव का माहौल रहता था।

एक दिन, पोता जी ने दादी के साथ बहुत बुरा व्यवहार किया। उन्होंने दादी के साथ हाथापाई की और उन्हें बहुत मारा-पीटा। दादी को बहुत दर्द हुआ और वह बीमार पड़ गईं।

पोते की बहू ने अपने पति को समझाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं माने। वह शराब पीते रहे और परिवार को तनाव देते रहे। एक दिन, पोते की पत्नी ने अपने पति से कहा कि अगर वह नहीं सुधरे, तो वह अपने बच्चों को लेकर घर छोड़ देंगी।

पोते ने पत्नी की बात नहीं मानी और वह शराब पीते रहे। एक दिन, दादी की तबीयत बहुत खराब हो गई और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। डॉक्टर ने बताया कि दादी का दिल कमजोर हो गया है और उन्हें आराम की जरूरत है।

लेकिन पोते ने अपनी आदत नहीं बदली। वह शराब पीते रहे और परिवार को तनाव देते रहे। एक दिन, दादी ने अपने परिवार के सदस्यों से कहा कि वह अब और नहीं जीना चाहती हैं। उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों से कहा कि वह उन्हें माफ कर दें और पोते की पत्नी को समझाने की कोशिश करें।

दादी की बात सुनकर परिवार के सदस्यों ने उन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन दादी ने कहा कि वह अब और नहीं जीना चाहती हैं। कुछ दिनों बाद, दादी की मृत्यु हो गई। परिवार के सदस्यों ने दादी को अंतिम विदाई दी और पोते  को समझाने की कोशिश की कि वह अपनी आदत बदलें।

लेकिन पोते ने अपनी आदत नहीं बदली। वह शराब पीते रहे और परिवार को तनाव देते रहे। परिवार के सदस्यों ने पोते को समझाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं माने।

इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि शराब की आदत एक बहुत बड़ी समस्या हो सकती है। यह न केवल व्यक्ति को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि उसके परिवार को भी प्रभावित करती है। इसलिए, हमें शराब की आदत से बचने की कोशिश करनी चाहिए और अपने परिवार के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए।
दादी की मृत्यु के बाद, परिवार में शोक का माहौल था। लेकिन पोते के व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया। वह अभी भी शराब पीता था और घर में तनाव फैलाता था।

पोते की इस आदत ने परिवार को और भी परेशान कर दिया। चाची और अन्य परिवार के सदस्य उसे समझाने की कोशिश करते थे, लेकिन वह नहीं मानता था।

पोते की इस आदत के कारण परिवार की स्थिति और भी खराब हो गई। घर में तनाव और कलह बढ़ने लगी। परिवार के सदस्यों ने उसे कई बार समझाया, लेकिन वह अपनी आदतों से बाज नहीं आया।

एक दिन, परिवार के सदस्यों ने तय किया कि वे पोते को एक पुनर्वास केंद्र में भेजेंगे, जहां वह अपनी शराब की लत से छुटकारा पा सके। पोते ने शुरुआत में इसका विरोध किया, लेकिन बाद में वह मान गया।

पुनर्वास केंद्र में पोते ने अपनी शराब की लत से छुटकारा पाने के लिए कड़ी मेहनत की। उसने अपने जीवन को बदलने के लिए कई सारे तरीके सीखे और धीरे-धीरे वह अपनी आदतों से छुटकारा पाने में सफल हो गया।

पोते के इस बदलाव ने परिवार को एक नई उम्मीद दी। परिवार के सदस्यों ने उसकी इस कोशिश की सराहना की और उसे अपने परिवार के साथ फिर से जुड़ने का मौका दिया।

इस आलेख से हमें यह सीखने को मिलता है कि शराब की लत से छुटकारा पाना संभव है, लेकिन इसके लिए कड़ी मेहनत और परिवार के समर्थन की आवश्यकता होती है।।

- सुख मंगल सिंह
 वरिष्ठ साहित्यकार कवि एवं लेखक 
वाराणसी वासी,अवध निवासी 
Sukhmangal Singh

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