Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

"पश्चिम बंगाल के प्राचीन राजा"

 

"पश्चिम बंगाल के प्राचीन राजा"


बंगाल में पाल बंसी और सेन बंसी राजा का राज्य था,
डॉ राजेंद्र लाल मिश्र ने इस विषय पर संक्षेप में जिक्र किया है।
जो इंडोर आर्यन नामक पुस्तक के दूसरे भाग में प्रकाशित हुआ,
डॉ राजेंद्र ने प्रत्येक राज्य में प्राय: 20 बरस का समय निकाला।।

पाल राजा बौद्ध थे,यह विदित नहीं पर हिंदू से द्वेष नहीं रखते थे,
वह हिंदुओं को धर्म कार्य के लिए भूमि दिया करते थे।
उनके अधिकार में पूर्वी बंगाल कभी नहीं आया था,
भागीरथी के पश्चिम में मगध के प्राचीन राज्य तक राज्य फैला।।

उत्तर में तिरहुत, मालदा, राज साही, दिनाजपुर, रंग पुर, बांकुरा तक था।
जिसे प्राचीन राज्य पुंद्र वर्धन का कहलाता था,
डेल्टा का मुख्य भाग उसके अधीन था डांटा नहीं मिला।।

नालंदा की एक शिलालेख से राजा गोपाल प्रथम राजा कलाता,
शिलालेख से ही जिया तो होता है कि राजा मगध पर विजय पाया।
लेखक तारा नाथ लिखता है बंगाल में गोपाल राज प्रारंभ किया,
जेनरल कानिंगाहाम के अनुसार राज सन् 815 ई. मैं प्रारंभ किया।।

यह तिथि मिश्र की  तिथि से 40 वर्ष पूर्व की मानी जाती,
उसका उत्तराधिकारी धर्ममपाल ने अपनी राज्य का विस्तार किया।
धर्मपाल का उत्तराधिकारी देवपाल बड़ा विजई हुआ,
गोपाल का राज हिमालय से विंध्य तक उत्तर भारत अपने अधीन कर लिया।।

देवपाल के सभी युद्धों को उसका भाई जयपाल करता था,
जयपाल का पुत्र विग्रह पाल अंत में राज गद्दी पर आसीन हुआ।
विग्रह पाल हैहय वंशी राजकुमारी क्षेत्रीय ' लज्जा ' से विवाह किया,
विग्रह पाल ने अपने पुत्र नारायण पालको ' तपस्या मेरी है और राज्य तेरा ' का कर उत्तराधिकारी बना लिया।। 
    ( साभार सभ्यता का इतिहास      पौराणिक काल )

- सुख मंगल सिंह 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ