Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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"महिषासुर बध "

 

जगदंबा  के  अंगों की कांति उदय काल के साहस्त्रों  सूर्य के समान,
माता जगदंबा कमलासन पर रहती हैं विराजमान!
महा दैत्य सेनापति चिक्षुर इनसे युद्ध करने आया,
रणभूमि में देवी ऊपर वाणों को बरपाया।
मानो बादल मेरू गिरि शिखर पानी को बरसाये,
देवी! वाणों ने उसके  सारथी घोड़ा  मार गिराये।
धनुष और ध्वजा तत्काल देवी ने काट डाला,
धनुष विहीन उसके अंगो को मा बाणों से बेधा।
मायाबी राक्षस होते हैं शुक्राचार्य गुरु इनके,
संजीवनी विद्या के कारण जीवित फिर कर देते!
घनघोर युद्ध में देवी ऊपर दैत्य तलवार प्रहार किया,
औ टूटती देख तलवार राक्षस हाथ में शूल लिया।
 महादैत्य क्रोधित हो भद्र काली पर पास चलाया,
शूल आकाश से धरती आकर  प्रज्वलित हो ठकुराया।
प्रति उत्तर में महाशूल से भीषण देवी ने प्रहार किया,
महादैत्य चिक्षुर का शूल सैकड़ों टुकड़ों में काट दिया।
देवी के पास ने, चिक्षुर की धज्जियां उड़ाई,
राक्षस अपने निज प्राणों से हाथ वहीं धो बैठा!
चिक्षुर का मरा जाना सुन- महिषासुर का सेनापति आया,
चामर हाथी पे चढ़कर जगदंबा से शक्ति दिखाया।
जगदंबा के हुंकार से तत्काल धरा पर गिर पड़ा,
क्रोधित चामर उठा और देवी पर  शूल चलाया।
देखा सिंह मां का उछल हाथी को मार गिराया,
एक एक कर राक्षसी सेना को देवी ने मार डाला।
दुर्धर- दुरमुख को  मां बाणों ने यमलोक पहुंचा,
सेना का संहार देख महिषासुर भैसा  रूप बनाया।
खुर, थूथन, पूंछ,उग्र सींगों से देविगणों को चोट पहुंचाया,
गणों को गिराते ही देवी ऊपर क्रोध दिखाया ।
ऊंचे, टीले, टापू ,पर्वत फेंक गरजता शब्द सुनाता,
धरा और आकाश में हाहाकार मचा भूचाल आया।
महादैत्य को अपनी ओर देख देवी ने पाश चलाया,
महा संग्राम में बंध जाने पर बदलरूप वह आया।
जगदंबा जब  मस्तक काटतिं खड्ग ले पुरुष दिखता,
वाण पास में जब बांधा तब वह गजराज रूप में आया। 
सूंड से देवी के विशाल सिंह को खींच गरजता पाया,
जगदंबा ने अपनी तलवार से उसका सूंड काट डाला।
फिर महादैत्य भैंसा रूप धारण  किए आया,
 जगदंबा ने मधु पान की आंखे हैं लाल विकराल।
देवी उछली औ महा दैत्य पर चढ़ शूल से आघात किया,
महिषासुर निज मुख से निकलना चाहा।
चंडिका ने तलवार से उसका मस्त काट दिया,
 यह सुनकर  दैत्य सेना में हाहाकार मचा ।
देवताओं ने महर्षिओ के साथ दुर्गा का स्तवन किया,
 और फिर गंधर्व राज गाने लगे और अप्सराएं नृत्य करने लगी।।

- सुख मंगल सिंह अवध निवासी




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