Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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"काशी विश्वनाथ और अयोध्या धाम"

 
"काशी विश्वनाथ और अयोध्या धाम"
जगह जगह के राजा काशी आयेगे,
अगहन में बाबा जी दर्शन का सभी पाएंगे।
मां गंगा की लहरों पर दिन  वे दिन बिताएंगे,
बाबा विश्वनाथ जी का गौरव गान गाएंगे।।

देश के साधु संत,स्त्री  पुरुष ऋचा सुनाएंगे,
देवगणों की टोली मिल घरि घंट बजाएगी।
विशेश्वर धाम के अद्भुत  छटा दिखाएगी,
देव लोक की, मधुर वाणी काशी में सुनाएगी।

काशी में पहली बार कुंभ सा मेला लगेगा,
संत महात्माओं से काशी का  धाम सजेगा।
सुख और शांति के नए नए पुष्प खिलेंगे,
ज्ञान और वैराग्य जिसमें  शिवजी मिलेंगे।

गंगा तट पर सिद्धियां  साधना करेंगी,
शंख, चक्र, गदा, पद्म लिए राम जी मिलेंगे।
भक्ति और आराधना से चच्छु ज्ञान मिलेगा,
सतयुग त्रेता जैसा दृश्य वहां युग्म दिखेगा।

ऋषि मुनियों की काशी अविनाशी,
साधक के मन को यह नगरी  है भाती।
स्वर साधना के साधक की सदा रही काशी,
विविध संस्कृतियों का यह देश मेल कराती।।

काशी - अयोध्या का पुरातन नाता,
बिना राम भक्ति के शिव को नहीं भाता।
आयोध्या शिव शंकर के निर्गुण गुण लगाती,
श्री राम- शिव जी की महिमा दुनिया भाती।।

काशी धाम के बाद संत अयोध्या जाएंगे,
शिव शंकर जी की  लीला श्री राम दर सुनाएंगे।
राजा दशरथ चक्रवर्ती सम्राट थे यही बताएंगे,
 काशी आए  राज्य के सभी राजा अयोध्या जाएंगे।।

भरत के त्याग - तपस्या को सुनकर
 आएंगे,
शत्रुघ्न  के प्रताप पर पुनि पुनि ध्यान रखें।
श्री राम - लखन का वे समर्पण पाएंगे,
साकेत धाम दर्शन कर वे घर - घर जाएंगे।।

सभी लोग अपने घरों में निज धाम जाएंगे,
सारा जगत राम मय हो जाए यही बताएंगे।
धर्म मज्ञ लक्ष्मण की कथा घर पर कथा सुनाएंगे,
उदार श्री रघुनाथ जी का दर्शन कर आएंगे।

श्री राम और हनुमान मिलन कैसे हुआ बताएंगे,
सुग्रीव मित्रता का इतिहास भूगोल बताएंगे।
रामायण को मैं मारा व्यास बताएंगे,
श्री राम का सभी पूजन करके आएंगे।

राक्षस कुल में भी सत्य पे चलने वाले,
श्री राम जी मर्यादा को समझने वाले।
गंदगी को होते हैं साफ कर वाने वाले,
आचरण व्यवहार समाज सुधार वाले।।

सांस्कृतिक राष्ट्र को काशी विश्वनाथ,
मर्यादा में खरा अयोध्या का है धाम!
तेरह चौदह, वर्ष इक्कीस पहले काशी,
पुनि अयोध्या संकल्प लें आत्मज्ञान।

- सुख मंगल सिंह




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