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एक दारू बाज पर कहानी

 
एक दारू बाज पर कहानी:

दारू बाज, जिसका नाम रामू था, एक छोटे से गाँव में रहता था। वह अपने पड़ोसी के साथ एक छोटे से घर में रहता था, जिसमें पत्थर की पटिया, कपड़ा, और नरिया बस बाली घर का सामान रखा हुआ था।

रामू को अपने पड़ोसी से बहुत नफरत थी, और वह अक्सर उनके बीच में झगड़ा करता था। एक दिन, रामू ने सोचा कि वह अपने पड़ोसी के साथ एक चाल चल सकता है, जिससे वह उन्हें परेशान कर सके।

रामू ने अपने घर से पत्थर की पटिया, कपड़ा, और नरिया बस बाली घर का सामान ले लिया और अपने पड़ोसी के घर के बीच में डाल दिया। वह जानता था कि इससे उसके पड़ोसी को बहुत परेशानी होगी और वे झगड़ा करेंगे।

लेकिन, जब रामू के पड़ोसी ने देखा कि उनके घर के बीच में पत्थर की पटिया, कपड़ा, और नरिया बस बाली घर का सामान रखा हुआ है, तो उन्होंने रामू को बुलाया और कहा, "रामू, यह क्या है? तुमने हमारे घर के बीच में यह सामान क्यों रखा है?"

रामू ने कहा, "मैंने नहीं रखा है, शायद किसी और ने रखा होगा।"

लेकिन, रामू के पड़ोसी ने कहा, "तुम झूठ बोल रहे हो, रामू। तुमने ही यह सामान रखा होगा।"

रामू और उसके पड़ोसी के बीच में झगड़ा होने लगा, और वे दोनों एक दूसरे पर आरोप लगाने लगे। लेकिन, जब वे झगड़ा कर रहे थे, तो गाँव के मुखिया ने आकर उन्हें समझाया और कहा, "तुम दोनों क्यों झगड़ा कर रहे हो? यह सामान किसी और ने रखा होगा, तुम दोनों को एक दूसरे पर आरोप नहीं लगाना चाहिए।"

रामू और उसके पड़ोसी ने मुखिया की बात मानी और झगड़ा बंद कर दिया। लेकिन, रामू को अपनी चाल का एहसास हो गया था कि वह अपने पड़ोसी को परेशान नहीं कर सकता है, और उसने अपने पड़ोसी से माफी मांग ली।

इसके बाद, रामू और उसके पड़ोसी के बीच में अच्छे संबंध बन गए, और वे दोनों एक दूसरे के साथ अच्छे से रहने लगे। रामू ने सीखा कि झगड़ा करने से कुछ नहीं होता है, और अच्छे संबंध बनाने से ही जीवन में सुख और शांति मिलती है।।

- सुख मंगल सिंह 
 वरिष्ठ साहित्यकार कवि एवं लेखक 
 वाराणसी वासी अवध निवासी 
Sukhmangal Singh



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