Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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"धन्य हैं श्री राम"

 
"धन्य हैं श्री राम"
मेरा राम लखन आज ही मेरेे सपने में आया,
उनके सामने अपनी कहानी कथा  सुनाया।
तुम मेरे पास सदा रहना रो - रो कर उनसे बताया,
नहीं चाहिए सोना चांदी ना धन दौलत चिल्लाया।
अद्भुत इच्छा भी थी अधिक देखकर मुस्कराया,
छवि निहार कर मेरे से कमल ने गुहार लगाया।
उनकी छवि का वर्णन मेरा शब्द कर नहीं पाया।
आज मेरे सपने में मेरा श्री राम - लखन सामने आया।
श्री राम जी बोले मुझसे क्या चाहिए तुम्हें  बोलो,
तेरे हृदय में रहता हूं मैं अपना मुंख तो खोलो।
जो भी तेरी हो लालसा उसको मुझसे ले लो,
लखन हमारे साथ हैं साथ मिलेगा इन्हें समझ लो।
श्री राम के सामने रोने के सिवा कुछ नहीं गा पाया,
मेरा रोना देख श्री के आंखों ने आंसू छलकाया।
उनकी महिमा महान कवि सुख मंगल जान न पाया,
श्री राम जय श्री राम सदा कहकर गुण ही केवल गाया।
धन दौलत की मुझे ना इच्छा इतना ही कह पाया,
मेरे हृदय तुम ही हो उनको केवल उन्हीं सुनाया।
दिन में ही सपने देख कर मैंने जोर-जोर से चिल्लाया,
नहीं पता मुझे मेरा राम - लखन सपने में मिलने वाला।
मुझ पर जब- जब भी कष्ट आया देवों ने बताया,
कष्ट निवारण करने का मंत्र हमें आपने सुनाया।
शक्ति देवियों को भेजकर उसे निवारण करवाया,
धन्य हैं मेरे श्री राम दुनिया को हमने अपनी सुनाया।

- सुख मंगल सिं

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