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Dr. Srimati Tara Singh
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चटकार साड़ी

 

चटकार साड़ी


चटकार साड़ी

अंधड़ झोके झोकत झंकारे ।

अखियन अरी भरती हुँकारे । ।

अलगन कथरी मचलत हारे ।

सगुन सीढ़ियां लगी बिचारे ।।

अनगल कथरी धरे हमारे ।

अनमन अलवेली है नारे।।

मंत्र वेद विवेकी पुकारे ।

सब सुखद संयमी बढ़त दुआरे ।।

X X X X X


झिलंग खटिया हमार, बहुत साड़ी रंगदार ,लगल पसली पिरोय, करत माई का पुकार ।।

माई करेले पुकार, बहुत हो रहै उपकार ।

बचऊ देत ओढ़ाय, सुखद साड़ी चटकार ।।

ठठरी ते करीं गुहार, दिवला करत अंधियार ।

तनिक देत गुदरी ओढाय, करत माई का पुकार 


सुखमंगल सिंह



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