बूढ़े व्यक्ति पृथ्वी की कहानी
एक समय की बात है, पृथ्वी नाम का एक आदमी था। जब वह जवान था, तो वह बहुत ही सक्रिय और स्वस्थ था। वह अपने हर काम को खुद से कर लेता था और कभी भी किसी काम को नहीं कर पाने की बात नहीं सोचता था। वह अपने जीवन को पूरी तरह से जीता था और कभी भी किसी चीज की परवाह नहीं करता था।
लेकिन समय बीतने के साथ, पृथ्वी बूढ़ा होने लगा। उसके शरीर में कई बदलाव आने लगे। वह पहले जैसा सक्रिय और स्वस्थ नहीं रहा। उसके शरीर में कई समस्याएं आने लगीं, जैसे कि उसे बाथरूम की समस्या होने लगी। जब वह कुछ भी काम करता था, तो उसे बाथरूम लगने लगता था। वह जल्दी से बाथरूम नहीं जा पाता था, तो उसके अंडरवियर में ही बाथरूम हो जाता था।
पृथ्वी के बच्चे उसे समझते नहीं थे। वे सोचते थे कि पृथ्वी अभी भी जवान है और अपनी मनमानी कर रहा है। वे उसकी समस्याओं को नहीं समझते थे और उसे ताने देते थे। पृथ्वी को यह बात बहुत बुरी लगती थी, लेकिन वह कुछ नहीं कह पाता था।
एक दिन, पृथ्वी के एक पोते ने उससे पूछा, "दादा, आपको क्या हो गया है? आप पहले जैसे नहीं रहे।" पृथ्वी ने अपने पोते को अपनी समस्याओं के बारे में बताया। उसने बताया कि वह बूढ़ा हो गया है और उसके शरीर में कई समस्याएं आ गई हैं।
पृथ्वी के पोते ने उसकी बात सुनी और उसे समझा। उसने पृथ्वी की देखभाल करने का फैसला किया। वह पृथ्वी के साथ रहने लगा और उसकी हर जरूरत को पूरा करने की कोशिश करने लगा।
धीरे-धीरे, पृथ्वी के बच्चों ने भी अपने पिता की समस्याओं को समझा और उनकी देखभाल करने लगे। वे पृथ्वी के साथ रहने लगे और उसकी हर जरूरत को पूरा करने की कोशिश करने लगे।
पृथ्वी को अपने बच्चों और पोते की देखभाल से बहुत आराम मिला। वह अपने जीवन के आखिरी दिनों में अपने परिवार के साथ खुशी से रहने लगा।
इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि बूढ़े लोगों की देखभाल करना हमारा कर्तव्य है। हमें उनके साथ धैर्य और समझदारी से पेश आना चाहिए। हमें उनकी समस्याओं को समझने की कोशिश करनी चाहिए और उनकी हर जरूरत को पूरा करने की कोशिश करनी चाहिए।
Sukhmangal Singh
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