Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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तुमको क्या गरज, कि उस बेअदब को

 

तुमको  क्या  गरज, कि  उस बेअदब को

गुनाहे-इश्क1 की सजा, मिली तो क्या मिली


सहरा2  का तुफ़ां  मिला , या धुला—धुला

फ़लक ,  या   धुआँ - धुआँ  जमीं मिली


मिटके  भी  हसरते कातिल  में रहा, उसके 

जख्मों को दुआ मिली, या दवा  मिली


जिंदगी  उसकी  खाक हुई  या आबाद हुई

जहाँ  में  उसे अमां3 मिली तो कहाँ मिली


जिसने रूह को आसमां में उड़ने की ताकत दी

उस  मसीहा  के होने  की खबर क्या मिली




  1. प्यार की सजा 2. मरुभूमि 3. पनाह

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पुल्लू सदा कहता कि उल्लू हैं आप

उल्लू नहीं देता पुल्लू का जवाब!

उल्लू नही करता उल्लु पने की बात

उल्लू पने की बात करता आदमी कि जात!

आदमी की जात को न पूछिए कुछ बात

उल्लू तो देखता है दिन में नहीं वही रात|

आदमी तो दिन में देखता हैं और न रात

वह सदा करता रहता है पुल्लू जैसी बात|

पुल्लू न होता है घर का नहीं समाज का

पुल्लू तो पुल्लू होता है होता अपने आपका|

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हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ