Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

"उड़ीसा साहित्यिक - धर्म यात्रा" परिपूर्ण

 

 

odisha


यात्रायें सतयुग के सामान होती हैं और चलना जीवन है अतएव देशाटन के निमित्त यात्रा महत्वपूर्ण है | मानव को संसार बंधन से छुटकारा पाने हेतु जल तीर्थ की यात्रा करना चाहिए - सुखमंगल सिंह


यात्रायें हमेशां ज्ञान -उर्जावृद्धि में सहायक होती है - कवि अजीत श्रीवास्तव
गाड़ी तीन घंटे बिलम्ब से चल रही थी जिसकी सूचना रेल प्रसारण यंत्र से किया गया | साथ में दो लोगों के रहने से राह बोझिल नहीं हुई | फिर क्या था कि दस बजे सूचना प्रसारित हुई कि रेलगाड़ी दो घंटे और बिलम्ब से है |
चाह यह नहीं कि सिर्फ मेरा नाम पहुंचे |
चाह यह कि पूरे विश्व में हिंदी का सलाम पहुंचे ||
हमारा यही मिशन है | इस मिशन में कठिनाइयों की चर्चा के लिए कोई स्थान नहीं है |
उड़ीसा के लोग बड़े प्यारे हैं मैं सन २०१५ में भी गया था सपत्नीक |श्री जगन्नाथपुरी और ढेंकानाल तक |
उड़ीसा संपर्क क्रान्ति रात्री १२:३० बजे मुगलसराय आई | एस ५ में लोअर वर्थ -९ और १२ पहले से ही रिजर्व था | हम दोनों बैठ गए |
घर से दिव्य मकुनी बाटी बनवाकर सफर के लिए रख रखा था हम दोनों ने उसे खाया और एक गुण खाकर पानी जमकर पिया | खैनी जमी ! कुछ बातें हुईं और नीद लगने लगी हम दोनों अपने अपने वर्थ पर सो गये |
रात्रि के तीन सवा तीन के लगभग बीच में जग गया था ,उसी समय फ्रेश हो लिया था फिर लेता तो नींद लगी और खुली ८:३० पर सुबह | देखा मित्र यात्री कवि अजीत श्रीवास्तव डायरी में कुछ लिख रहे थे | सायद उस फेस बुक से सम्बंधित ! जिस रचना को मेरे मोबाइल से देखा था | लिखा था (नाम न लेते हुए ) मैं समस्या देता हूँ,समाधान नहीं |मुझसे बढ़के कोई इंसान नहीं | देखकर उस समय मित्र मुस्कराये ! कुछ बोले नहीं |
चाय...चाय..चाय गरम चाय ! चाय वाला आया | हम दोनों ने चाय पी | खैनी जमी |
यात्री संगी ने कहा -सुखमंगल जी कुछ लोगों ने फेसबुक को बन्दर के हाथ अस्तूरा समझ लिया है | ऐसों को कोई टिप्पड़ी नहीं दी जाती और एक कागज पर लिखकर मुझे दिया -
जो समस्या देते हैं ,समाधान नहीं !
ऐसों से बढ़के ,कोई शैतान नहीं ||
कविता करना ,इक तपस्या है !
कविता, कविता है परचून की दूकान नहीं ||

हिंदी के लिए प्रचार - प्रसार की सबसे अधिक जरूरत यदि कहीं है तो वह है अहिन्दी भाषी क्षेत्र में ,इसी उद्देश्य को मिशन के तहत अहिन्दी भाषी क्षेत्रों के भीतरी इलाकों में पहुंचकर हिंदी की अलख जगाने का कार्य विगत दो वर्षों से कर रहा हूँ | जो हिंदी आज विश्व फलक पर नंबर दो पर है ,उसे नंबर एक का दर्जा दिलाने में यह मिशन सफल होगा यही आशा है |
इसका मूल कारण यह है कि अहिन्दी भाषी क्षेत्रों के लोग आज विदेशों में बड़े-बड़े पदों पर अधिकाधिक् मात्रा में मौजूद हैं |
इस मिशन में अखिल भारतीय सद्भावना एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखमंगल सिंह और कार्यकारी महासचिव अजीत श्रीवास्तव लगे हैं |
ढेंकानाल (उडीसा ) प्रधान महाप्रबंधक ,दूरसंचार कार्यालय के हिंदी पखवाड़ा -२०१७ में हम (दोनों ) को आमंत्रण मिला ! मुझे मुख्य वक्ता और अजीत श्रीवास्तव को सम्मानित अतिथि के रूप में (काव्यपाठ )करने हेतु |
सितम्बर १२,२०१७ को हम पहुचे मुगलसराय जं० सायं ०६ बजे | संपर्क जन क्रान्ति एक्सप्रेस का समय ०७:३० का रहा |
एक बार तो मैंने सोचा कि उन श्रीमान् को यह रचना फेसबुक पर भेज दूं लेकिन अजीत जी ने मना कर दिया ,कहा कि ऐसा लिखने वालों को भगवान भरोसे छोड़ देना चाहिए | नोटिस
में नहीं लेनी चाहिए | ऐसे लोगों की फेस बुक पर भारी भीड़ होती है जो लोगों के बहुमूल्य समय खराब करते हैं |
चाय वाला घुमते -घामते फिर आया | एक - एक चाय हम दोनों ने और पी | खैनी जमी |
उघर कम्पार्टमेंट में लोग अपनी - अपनी चर्चाओं में दो तीन के ग्रुप में मशगूल थे | सफर
में चर्चाएँ खूब होती हैं अत्यधिक महत्वपूर्ण होने के बावजूद वे सभी चर्चायें सफर समाप्ति
के साथ छूट जाती हैं | मैंने कागज के सफेद पन्ने बहुत सारे रखे थे उन्हें बी आई पी अटैची
से निकाला और हो रही चर्चा के मूल को नोट करते चला |
दोनों तरफ पहाड़ और झाड़ियाँ | कभी जंगल रहे होंगे |काटे गए हैं ! कहीं कहीं बस्तियां है | अगल बगल की जमीन की मिटटी लाल | मौसम कुछ-कुछ कोहरा कुछ -कुछ धुप |
लोगों की चर्चा आरक्षण पर केन्द्रित थी | हम दोनों लोग श्रोता की भूमिका में रहकर बात को गंभीरता से सुन रहे थे |
धुंध ! अगल -बगल | चिमनिया पीठ पर छोटे -छोटे बच्चे | मजदूरी करने की कतार में आदिवासी महिलाएं | नजर जहां तक दोनों ओर जाये ,पगडंडियों पर आते -जाते आदिवासी मजदूरों की बड़ी कतारें | सर पर गठरी में क्या है ,कुछ पता नहीं ! हाँ हाथों में जलावन लकड़िया और कोयले ! छोटे बच्चे पीठ पर उससे बड़े बच्चे पैदल | ट्रेन टाटा नगर आ पहुंची | आधा घंटे रुकी और फिर अपने गंतब्य को चल दी |
दोनों बोतलें जो खाली हो चलीं थीं में पानी की व्यवस्था हमनें टाटा नगर में क्र ली | स्टेशन पर कुछ गमले दिखे बचा हुआ पानी उन्हीं गमलों में उड़ेल दिया था | दो-दो मकुनी बाटी, नीबू के अचार के साथ खाया गया | गुड खाने के बाद पानी पेट भर पिया | एक-एक चाय के बाद खैनी जमी | अब ट्रेन की सीटी बजी |उड़ीसा संपर्क क्रान्ति आगे बढ़ी | चर्चा थी कि थम ही नहीं रही थी | चर्चा में सामिलों को भी भुवनेश्वर ही जाना था |
राजनीति ने सत्तर सालों में कुछ ऐसीस्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है कि आरक्षण पर बोलना किदो भाग होना | कहीं देखा गया है कितनावग्रस्त स्थितियां भी पैदा हो जाती हैं |यह अच्छी बात रही कि ट्रेन में ऐसा कुछ नहीं रहा | सभी के मुखर स्वर आरक्षण को आर्थिक आधार पर दिये जाने के पक्ष में रहे |-sukhmangal singh

एक बार तो मैंने सोचा कि उन श्रीमान् को यह रचना फेसबुक पर भेज दूं लेकिन अजीत जी ने मना कर दिया ,कहा कि ऐसा लिखने वालों को भगवान भरोसे छोड़ देना चाहिए | नोटिस
में नहीं लेनी चाहिए | ऐसे लोगों की फेस बुक पर भारी भीड़ होती है जो लोगों के बहुमूल्य समय खराब करते हैं |
चाय वाला घुमते -घामते फिर आया | एक - एक चाय हम दोनों ने और पी | खैनी जमी |
उघर कम्पार्टमेंट में लोग अपनी - अपनी चर्चाओं में दो तीन के ग्रुप में मशगूल थे | सफर
में चर्चाएँ खूब होती हैं अत्यधिक महत्वपूर्ण होने के बावजूद वे सभी चर्चायें सफर समाप्ति
के साथ छूट जाती हैं | मैंने कागज के सफेद पन्ने बहुत सारे रखे थे उन्हें बी आई पी अटैची
से निकाला और हो रही चर्चा के मूल को नोट करते चला |
दोनों तरफ पहाड़ और झाड़ियाँ | कभी जंगल रहे होंगे |काटे गए हैं ! कहीं कहीं बस्तियां है | अगल बगल की जमीन की मिटटी लाल | मौसम कुछ-कुछ कोहरा कुछ -कुछ धुप |
लोगों की चर्चा आरक्षण पर केन्द्रित थी | हम दोनों लोग श्रोता की भूमिका में रहकर बात को गंभीरता से सुन रहे थे |
धुंध ! अगल -बगल | चिमनिया पीठ पर छोटे -छोटे बच्चे | मजदूरी करने की कतार में आदिवासी महिलाएं | नजर जहां तक दोनों ओर जाये ,पगडंडियों पर आते -जाते आदिवासी मजदूरों की बड़ी कतारें | सर पर गठरी में क्या है ,कुछ पता नहीं ! हाँ हाथों में जलावन लकड़िया और कोयले ! छोटे बच्चे पीठ पर उससे बड़े बच्चे पैदल | ट्रेन टाटा नगर आ पहुंची | आधा घंटे रुकी और फिर अपने गंतब्य को चल दी |
दोनों बोतलें जो खाली हो चलीं थीं में पानी की व्यवस्था हमनें टाटा नगर में क्र ली | स्टेशन पर कुछ गमले दिखे बचा हुआ पानी उन्हीं गमलों में उड़ेल दिया था | दो-दो मकुनी बाटी, नीबू के अचार के साथ खाया गया | गुड खाने के बाद पानी पेट भर पिया | एक-एक चाय के बाद खैनी जमी | अब ट्रेन की सीटी बजी |उड़ीसा संपर्क क्रान्ति आगे बढ़ी | चर्चा थी कि थम ही नहीं रही थी | चर्चा में सामिलों को भी भुवनेश्वर ही जाना था |
राजनीति ने सत्तर सालों में कुछ ऐसीस्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है कि आरक्षण पर बोलना किदो भाग होना | कहीं देखा गया है कितनावग्रस्त स्थितियां भी पैदा हो जाती हैं |यह अच्छी बात रही कि ट्रेन में ऐसा कुछ नहीं रहा | सभी के मुखर स्वर आरक्षण को आर्थिक आधार पर दिये जाने के पक्ष में रहे |
एक कम नंबर प्राप्त कर फेल अभ्यर्थी पास कर दिया जाएगा क्योंकि कोटा भरने का सवाल है !कम से कम नंबर पाने वाला योग्य हो जाता है | अधिक से अधिक नंबर पाने वाला अभ्यर्थी योग्य माना जाता है |आरक्षण की शुरुआत खराब नहीं थी आज उसके परिणाम खराब आ रहे हैं | उन सभी के लिए एक रचना -
न मागो किसी और से उषा की रश्मियाँ ,
आज अपने आप में खुद प्रकाश कर |
जो हो न सका उसके लिए मत निराश हो
जो हो सकेगा उसके लिए कुछ प्रयास कर |
और आगे की एक रचना -
कम से कम नंबर पाने वाला ,
अधिक से अधिक नंबर पाने वाले पर भारी है !
क्योंकि आरक्षण का कोटा भरने की भरपूर तैयारी है |
फेल लड़का ,पास लड़के को दे रहा है दंड
और यही है आज के आरक्षण का मापदंड !!
संपर्क क्रान्ति ट्रेन भुवनेश्वर के करीब आ गई | सायं ७ बजे ! भुवनेश्वर स्टेशन रौशनी से लकधक् | सफाई एक्जाई | ट्रेन प्लेटफार्म नंबर ५ पर रुकी |
उड़ीसा में प्रायः सभी हिंदी समझ बोल लेते थे | लिख कम पाते थे | जब मैं पिछली बार सन २०१५ में गया था तो हिंदी समझने -बोलने वाले कम मिले थे | दो वर्षों में सभी के बोलने के स्टार पर आज हिंदी पहुँच गई है | यह एक बड़ी बात है | प्लेट फार्म १ पर दो काफी ली जिसे हम दोनों ने पी | इसी बीच घर से फोन आया | मैंने बताया कि बड़े मजे से हम भुवनेश्वर पहुँच गए हैं | अजीत श्रीवास्तव जी ने भी घर पर बात की |
रिजर्व तिकट भुवनेश्वर तक का ही था | काफी पीने के बाद बाहर निकला | रिमझिम वारिस की फुहारें पड रही थी | टिकट काउंटर से दो टिकट पुरी तक का लिया | स्टेशन पर आ गया |
दुसरी ट्रेन से पुरी स्टेशन पहुच गया |
सफर में और बहुत सारी बातें ,चर्चायें सुनी |सब गड्डमगद्द रहीं | नोट करने जैसी कोई नहीं लगी | सब भीड़-भाड में गुम होती चली गई !
एक बात अवश्य मन में गूंजती रही कि माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को एक विश्व शक्ति के रूप में लाकर खड़ा कर दिया है | मोदी के पहले का भारत सिर्फ विश्व बैंक के सामनें कटोरा लेकर खड़ा होने वाला देश कहा जाता रहा | मिली जुली सरकारों का कुल मिलाकर यहीं योगदान कहा जाता रहा | यही कारण रहा कि सरकार पतरी से दोनिया होती चली गई| करोड़ों का घोटाला आये दिन समाचारों में छपता रहा | देश गरीब का गरीब ही कहा जाता रहा |
देश की गरीबी दूर करनी है ? देश की गरीबी कुछ इस तरह से दूर होती है | जिसका सामाजिक सरोकार न हो , जिनमें सेवा की भावना नहीं के बराबर हो, उनके धरती पर जीने का अर्थ ही क्या है ? उन्हें 'मनुष्य रूपेण मृगाश्चरन्ति' ही कहना समुचित होगा | ऐसे तो बस धरती के भार स्वरूप हैं |
भ्रष्टाचार पर बातें खूब होती रहती हैं | भ्रष्टाचार की जड़ पर नहीं ! तनों पर वार होता है |तनें काटे जाते हैं | जड़ें फिर भी पनप जाती हैं | जड़ पर वार क्यों नहीं होता इसे हम पाठकों और बड़े साहित्यकारों पर छोड़ना अपना उचित कर्तव्य समझता हूँ |
भ्रष्टाचार की जड़ एन. जी. ओ. पर भी लगता रहा है यही कारण रहा की वर्तमान मोदी सरकार ने थोक के भाव विविध हजारों एन.जी.ओ. पर लगाम कसी निरस्त कर दी उनकी मान्यताओं को | एन. जी. ओ. का शाब्दिक अर्थ हो गया है नेशनल गुण्डा आर्गनाइजेशन !
भ्रष्टाचार की जड़ - राजनैतिक पार्टियों को मिलने वाले करोड़ों के चंदे का गोपनीय रखा जाना | जिसको पारदर्शी बनाने की मुखालिफत प्रधान मंत्री मोदी जी करते आ रहे हैं | विविध समाचार पत्रों में भी समय -समय पर इसका जिक्र होता रहता है| आज ही हमने वाराणसी दैनिक जागरण ४ अक्टूबर २०१७ के पृष्ठ १५ पर शीर्षक 'राजनीतिक चंदे को पारदर्शी बनाने की मुहीम हुई तेज ' देखा जिसमे लिखा था कि 'केंद्र जल्द ही चुनावी बांड जारी करने जा रहा है जिसके माध्यम से राजनीतिक दल चंदा ले सकेंगे | वित्त मंत्री अगले कुछ दिनों में इसकी घोषणा कर सकते हैं |....इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव भी सरकार ने किया था ताकि चुनावी बांड जारी किये जा सकें |
देर ही सही सरकार की मंशा साफ दिखने लगी है जिसकी जनता सराहना करेगी | हम पूर्ण विश्वास के साथ कह सकते हैं |
भ्रष्टाचार चार की जड़ - आम जनमानस की पकड से बाहर अत्यधिक मंहंगा चुनाव !
हमें उम्मीद करनी होगी कि जनता ने साथ दिया तो मोदी जी इसे भी सरल सफल बनाने में कोर कसर छोड़ने वाले नहीं हैं | यद्यपि विश्व के अनेक देश में भारत से भी मंहंगा चुनाव होते हैं लेकिन अब भारत वह सबकुछ करना चाहता है जो एक मिशाल बने! उदार बाद ! समाज बाद | का जिसे जनता की वाह वाही मिले ! लोग स्वीकार करें | समाज में सुधार आये ! देश तरक्की के मार्ग पर अग्रसर हो ! हमारी जड़ें मजबूती प्रदान करें |
आज तक के इतिहास का विश्लेषण करने से ज्ञात होता है कि मंहंगाई,बेकारी, भुखमरी आती नहीं | सिर्फ लाई जाती है ? क्योंकि पूजीपतियों की फैक्टरी कौन चलाएगा ! चलाने के वास्ते मजदूरों की आवश्यकता तो होती ही है | अगर लेबर जोन बनाए रखने के वास्ते गरीबी ,बेरोजगारी और भुखमरी को बनाए रखना जरूरी न होता तो स्वास्थ्य,शिक्षा ,रोजगार ,स्वरोजगार पर कोरा भाषण ही नहीं काम को अंजाम तक पहुचाने का अथक प्रयास होता |
सत्तर वर्ष बीत गये आजादी मिले आज तक हम ग़रीबों को उनका हक़ दिलाने में नाकाफी प्रयास करते रहे | ग़रीबों के हक़ में सही पूछिए तो सिर्फ भाषण आया है | गरीबी पर भी आरक्षण भारी दिखता नजर आया है | डर भी रहता है कि गरीबी मिटाने जो आगे आयेगा उसे कहीं यह कथित पूजीपति ही न मिटा दें |
हा हम सब कवि है मेरी एक रचना देखे -
मोदी के मनोबल को मत गिराईये,
जितना भी हो सके उंचा उठाइये |
हुर्रियत आतंकवाद जो पल रहे थे ?
पूरी तरह से अब सफाया कराइये |
श्री जगन्नाथ पुरी रेल स्टेशन पर उतर कर सबसे पहले बाबा श्री जगन्नाथ जी धाम पर उत्तरी गेट से हम दोनों लोग प्रणाम किये और पुन: आई .क्यू के लिए प्रस्थान किया |
पुरी में टेपो खाली भले जाय परन्तु टेपो चालक मुह्मागा पैसा ही लेते हैं यात्रियों से !
ऐसा हम लोगों के साथ भी हुआ | इस दिशा में स्थानीय शासन /प्रशासन को ध्यान देने की आवश्यकता है | यात्रियों से वाजिब किराया ही लिया जाना चाहिए | एक रेट लिस्ट गाड़ियों में होनी आवश्यक है |
यात्राओं का उद्देश्य होता है | यात्रा का उद्देश्य बहुयामी हो भी हो सकता है जो देश -समाज को वर्तमान वस्तु स्थिति से परचित करा सके और वर्तमान में उन जगहों(स्थान ) की भौगोलिक स्थिति क्या है ! तथा वहां की सभ्यता -संस्कृति को रेखांकित करती हो |
इतिहास बन सके | इस चित्र को दिखाने के पीछे मेरा uddeshy है कि वर्तमान में
भुवनेश्वर स्टेशन पर मुसाफिर खाना और काउन्टर का नया निर्माण हो रहा है जिससे यात्रियों की बढती हुई आबादी पर सहूलियत दिया जा सके | यह एक ओड़िसा के भुवनेश्वर में केन्द्रीय रेल विभाग का उत्तम और सराहनीय कदम को दर्शाता है |
भुवनेश्वर से पूरी ,चन्द्रभागा (समुद्र किनारे )
और कोणार्क_ सूर्य_ मंदिर_
रात साढ़े ८ बजे हम पुरी पहुचे | हमें ली गार्डेन होटल के पीछे बी .एस. एन.एल .आई. क्यू. में बी. आई.पी .रोड पहुचना था | स्टेशन से दूरी डेढ़ किलोमीटर की है | रिक्से और थ्री वि८ह्लर वाले बेतहाशा किराया माँगते हैं | एक जो बोला , वही सब बोलते हैं | उनसे पूछने का मतलब ही हो जाता है कि वे जान जाते हैं ,ये बाहर के हैं ,यात्री हैं | ये हमारी शर्तों पर ही जायेंगे | और होता भी यही है | हम सब सडक तक आ गये | सामने चाय की दूकान पर चाय पी | एक -एक पान जमा |
चूंकि हम दोनों के पास सामान अधिक नहीं रहा | हमने रास्ता पूछा और आगे बढे | लगभग आधी दूरी पैदल ही तय कर ली | तभी देखा कि एक थ्रिविलर वाला आकर पूछा कि कहाँ जाना है ! मैंने स्थान बताया |
उसने कहा आइये मैं भी वहीं चलूँगा | किराया जो उचित है लगे ! दे दीजिएगा |
उसने कहा ! बाबू जी स्टेशन पर थ्रिविलर और रिक्शे वाले किराए के मामले में यात्रियों को जैसे लूटते हैं | कुछ हैं जो सेवा भावना से चलते हैं | ऐसों की वहां चल नहीं पाती | स्टेशन पर उनका गैंग है |
हम गेस्ट हाउस पहुच गए | थ्रिविह्लर वाले को हमने प्रसन्नता से तीस रुपये दिए | उसने भी प्रसन्नतापूर्वक ले लिया |
सूट नंबर -३ ! ए. सी. रूम | पहले से ही एन.एन. महाराणा जी ने बुक करा रखा था | साफ -सफाई बेहतरीन | दरवाजे पर नागार्जुन प्लेट लगा दिखा |
हाथ-मुंह धुलने के बाद हम दोनों ने हल्का भोजन लिया | रात करीब ग्यारह के आस-पास हम लोग नीद में हो लिये | बीच में करीब पौने चार बजे हमेसा की भाँती नीद खुल गई | बोतल में साम को रखा पानी पी लिया | वाथ्रूम आदि से फ्रेस होकर अजीत जी को जगाया | चाय की तलब हुई | दोनों निकल दिए | सुबह-सुबह की समुद्री हवा का आनंद | बड़ा दिव्य लगा | टहलते बात करते सवा पांच साढ़े पांच बज गया |
चाय बाहर निकल कर हम दोनों ने सड़क पर ही पी ली | लोंगों की आपसी बातचीत का और चाय का ,हम लोगों ने आनंद लिया | हवा का क्या कहना ! एक चीज जो विशेष रूप में देखने को आज-कल मिलती है कि समय कुछ भी हो,स्थान कोई हो | लोंगों की आपसी चर्चा के केंद्र विन्दु में मोदी की चर्चा अवश्य होती है | यह मोदी की जबरदस्त लोकप्रियता और आम जनता में गहरी पैठ का प्रमाण है |
चाय की दूकान पर एक ने कहा - सन उन्नीस के चुनाव में मोदी जी पहले से भी अधिक जनमत के साथ आयेंगे | मेरी ओर देखकर कवि अजीत श्रीवास्तव (यात्रा संघी ) के कहा कविवर सुखमंगल जी ! यह देश की आम जनता का विचार है | वह भी ओडिशा में |
वहां एक-एक चाय हम दोनों ने और पी | चाय कडक मजेदार लगी | लौट क्र आई.क्यू.मे,हम लोग सात बजे के आस-पास आये |
पुरी के महंत श्री आर महापात्रा जी से हमने फोन पर बात की | बताया कि ८:३० के आस-पास पुरी धाम पहुच जायेंगे |
उन्होंने कहा - आइये आपका स्वागत है |
स्नान आदि करके हम दोनों तैयार हुये | श्री जगन्नाथ धाम आ गये | श्री श्री जगन्नाथ धाम को श्री पुरुषोत्तम धाम भी कहा जाता है | यहाँ श्री विष्णु हमेशा अवस्थान करते हैं | भगवान श्री विष्णु का नित्य विराजस्थल बैकुंठ की भाँती माना जाता है | यह पावन क्षेत्र दशयोजन विस्तृत सागर के तट स्थित है | प्रलय काल में जब पृथ्वी जलमग्न हुई ,वाराह अवतार लेकर स्वयं श्री विष्णु ने इस क्षेत्र को बचाया और स्वयं ब्रह्मा जी ने अपनी सौन्दर्यमयी सृष्टि सर्जना की |
केवल भारत ही नहीं वरन सम्पूर्ण विश्व में यह सर्वोत्तम क्षेत्र है | महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी के श्री दर्शन और महाप्रसाद सेवन से मनुष्य पाप मुक्त हो जाता है |
षोलाह(सोलह ) अंश में विभक्त एक ही शिला में निर्मित अरुण स्तम्भ तक हम दोनों आ पहुचे | अष्टादश शताब्दी के अंत में गणपति महाराज ने इस स्तम्भ को कोणार्क से लाकर मंदिर के सामने स्थापित किया | मंदिर में प्रवेश के पूर्व सभी इसे स्पर्श करते हैं | इससे मन में आत्म विश्वास और दृढ इच्छाशक्ति पैदा होती है | ऐसी मान्यता है | श्री श्री जगन्नाथ धाम महात्म में मिलता है |
यह स्तम्भ काले मुंगरी पत्थर का निर्मित है | इसकी उंचाई ३३फुत ८ इंच है | यह स्तम्भ पहले कोणार्क सूर्य मंदिर के सामने स्थापित था | षोलाह(शोलाह ) अंश में विभक्त यह स्तम्भ इस प्रकार है - अतल,वितल ,सुतल ,तलातल ,रसातल ,पाताल,धरातल, भू ,भुवं,स्व ,मह,जप,तप,सत्य ,व्योम और पृथ्वी |
महन्त जी का फोन आया कि आप लोग दक्षिण दरवाजे पर पहुंचें | वहाँ मेरा आदमी खड़ा है | ठीक ढंग से दर्शन करा देगा | उसके बाद आप लोग मेरे "होटल धर्मज्योति"पर पधारें |
हम दक्षिण दरवाजा पहुंचे महन्त जी के आदमी को हमने उसके मोबाइल नंबर से पहिचान लिया | जिसे महंत जी ने बता रखा था | क्योकि उन्हें बता दिया गया था कि विशुद्ध बनारसी दुपट्टा( किनारा पट्टी वाला ) उन दोनों में से एक के कंधे पर होगा |
श्री जगन्नाथ पुरी मंदिर में दारूविग्रह गौरांग मूर्ति और नृसिंह मूर्ति सहित विविध देवताओं ,देवियों की मूर्तियाँ स्थापित हैं | सम्पाती की पत्थर से निर्मित विराट मूर्ति भी है | मुक्ति मंडप और काक चतुर्भुज कुंड ,रोहणी कुंड और विमला देवी मंदिर है | इसी के पास वेणीमाधव और साक्षी गोपाल मंदिर है |
विमला देवी महाभैरवी आद्याशक्ति हैं | मान्यता है कि मंदिर निर्माण और विग्रह प्रतिष्ठा के समय बीच का अंतर बहुत अधिक था | इस दौरान माँ विमला देवी का मंदिर पर अधिकार था | जब श्री जगन्नाथ श्री श्री क्षेत्र आये तो आने पर देखते हैं कि मन्दिर महाभैरवी द्वारा अधिकृत है | माँ विमला देवी से उनहोंने मन्दिर में प्रवेश की अनुमति मांगी | महाभैरवी ने शर्त रखा कि उनके उद्देश्य से पूजा के प्रसाद को फिर से मुझे समर्पित करना होगा तो उसके बाद प्रसाद महाप्रसाद कहलायेगा | आज तक वही पुरानी रीति चली आ रही है |
आगे बढ़ने पर बगल में कांचि श्री गणेश जी का मंदिर है | कहा जाता है जो तंत्र साधक अथवा तांत्रिक होते हैं ,खासकर दक्षिण द्वार से होकर मंदिर में प्रवेश करते हैं |
भीतर जाने पर श्री जगन्नाथ जी ,श्री बलभद्र जी ,और सुभद्रा जी का दिव्य दर्शन हम दोनों यात्रियों को मिला | कवि अजीत श्रीवास्तव (चपाचप बनारसी ) यात्रा संगी के मुख से एकायक शब्द निकला कि मैनें तो स्वप्न में भी नहीं सोचा था कि यहाँ तक इस जन्म में मैं पहुच पाउँगा | महती कृपा ,महती कृपा |
महाप्रसाद पाने के लिए मंदिर के नियमानुसार भोग प्रसाद की रसीद कटवाया | रसीद काटने के आधे घंटे बाद प्रसाद का पैकेट उपलव्ध हो गया |
अब हम दोनों आर .महापात्रा महंत जी के " होटल धर्मज्योति" पर आ गये| वहीं महाप्रसाद महंथ जी का दर्शन कराने के लिए भेजा गया, भला आदमी ! प्रसाद लाया |
आर महापात्रा महन्त जी ने कहा - सुबह से आपलोग कुछ खाए नहीं होगे | बेसिन में हाथ मुंह धोये | प्रसाद ग्रहण करें | दो थाली में हम दोनों के लिए महाप्रसाद आया | साथ में एक-एक छेने का रसगुल्ला खिलाया | बड़ी तृप्ति मिली | लगा कि हमें अमृत प्राप्ति हुई |
बाबा श्री काशी विश्वनाथ जी,माँ श्री अन्यपूर्णा जी,माँ गंगे ,बाबा श्री काल भैरव जी की विशिष्ट कृपा ने ही हम लोगो को यहाँ तक दर्शन के लिए पहुचाया |
अजीत श्रीवास्तव की 'गंगा के नाम पर ' यू.ट्यूब .पर रचना को सुनकर महंत का परिवार प्रसन्न हो गया | यू.ट्यूब ,kavi ajeetsrivastava टाइप करने से खुलेगा |
महापात्रा जी ने बताया मेरा पुत्र फाइन आर्ट में स्कूल में प्राय : उच्च स्थान प्राप्त करता है | उसे ओडिशा सरकार द्वारा समुचित सम्मान दिया जाता है | दो आलमिरा में रखे सील्ड और सम्मान भी दिखाया | आप भी देखें -यहाँ संभव नहीं |
श्री जगन्नाथ जी का महापात्रा जी के घर में स्थापित मंदिर का दृश्य देखें -
महंत जी ने पूछा - अब यहाँ से आप लोगों का क्या प्रोग्राम है ? हमने बताया कि चन्द्रभागा जायेंगे |
महन्त जी ने बताया कि वहां जाने के लिए ,वहां से आने के लिए बराबर बसें मिलती हैं | उसी से जाइयेगा ,आइयेगा |थ्री ह्यिलर न लीजिएगा | वे सब बहुत पैसे लेंगे | अपरिचितों से लूटते हैं |
हम दोनों ने श्री महापात्रा जी का कहा माना | बस से चल दिये चन्द्रभागा की ओर ! उड़ीसा की एक्जाई सडक | गंदगी का नामोनिशान नहीं | दोनों ओर का हराभरा वातावरण |बस में बैठे -बैठे अजीत श्रीवास्तव भी अपनी यात्रा डायरी मेवं लिखते जाते थे |
उत्तर प्रदेश को कम से कम ओडिशा से कुछ सीखना चाहिए ! संस्कार ,सफाई ,प्रगति | दस वर्षों के तथाकथित शासन ने पूरे प्रदेश को खासकर पूर्वांचल को भिखमंगे की कटगरी जैसा बना दिया | पूर्वांचल की अनेक मिले -फैक्टरियां बेच दी |
आम लोगों और अजीत जी का मानें तो पूर्वांचल में गरीबी ,भुखमरी ,वेरोजगारी रहेगी ! तो पूजीपतियों की देश भर की मिलें चलती रहेंगी | मिलें चलाने के लिए मजदूर चाहिए | मजदूर पूर्वांचल के यथा स्थिति में रहने पर मिलेंगे | सारा विकास का केंद्र पश्चिमी प्रदेश रहा | परिवारवाद ,तथाकथित समाजवाद ने भारत की भारतीयता ,संस्कार ,शिक्षा ,स्वास्थय का भंटाधार ही किया घोटाले होते रहे और जनता को कार्यवाही का आश्वासन | पिछली सरकारों ने तथाकथित साहित्यकारों को खूब प्रश्रय दिया | पद्मश्री ,पद्मभूषण ,यशभारती,साहित्य भूषण जैसे साहित्यिक सम्मान इनकी झोली में खूब डाले | समय ने जब करवट बदला तो सब के सब सहिष्णुता का पाठ पढ़ा रहे | देश को ओं की ओर विशेष ध्यान देना चाहिये | भारतीय साहित्यकारों - कवियों को संरक्षण और महत्व देकर भारतीयता की रक्षा -सुरक्षा में अपना विशिष्ट योगदान करना होगा | उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी जी इस दिशा में अपना मजबूत कदम बढ़ाना सुरु किया है |
चन्द्रभागा ! सूर्य क्षेत्र-अर्क क्षेत्र ओडिशा आ गये | सफर कब तय हुआ पता ही नहीं चला |
द्श्योजन मेंफैला विशाल समुद्र का मोहक किनारा | प्यारा बहुत प्यारा | हहराता -लहराता समुद्र | किनारे पर रेत भी सामान्य से परे | लहरें हमारी सारी आपदाएं ले लेने और अपार सुख हमें प्रदान करने को आतुर !
चन्द्रभागा पुराण युग से एक पवित्र और प्रधान तीर्थ है |
चन्द्रभागा में माघ माह शुक्ल पक्ष की सप्तमी को लाखों की संख्या में यहाँ आकर सब लोग पवित्र जल से स्नान करते हैं ,पितरों को पिण्डदान भी देते हैं |
इस पवित्र तीर्थ में स्नान कर सूर्योपासना करने से मनुष्यों का महापातक विनाश होता है | चण्डी पुराण में चन्द्रभागा को 'गुप्त गंगा'कहा गया है | मैं और मेरे यात्रा संगी अजीत श्रीवास्तव ने पवित्र जल माथे चढाया | पैर को समुद्र देवता ने प्रछालित पहले ही कर दिया | सूर्य -समुद्र को क्रमशः नमन किया | लौटकर चलने का जैसे मन ही नहीं कर रहा था |
वाह रे अपना भारत और उसकी विशालता | हमलोग समुद्र की रेती से ऊपर आये| चाय की दूकान में चाय पी | कुछ ही देर बाद बस आ गई | हम दोनों बस पर बैठ गये |
बस स्टार्ट हुई | कुछ दूर आगे बढी थी कि कुछ चर्चाकर्ता चर्चाएँ फिर शुरू किये | चर्चा शुरू हो गयी | एक ने कहा - विश्व बैंक की एटलस आफ स्तेनेबल डेवलपमेन्ट गोल्ड्स की रिपोर्ट के अनुसार एक प्रतिशत के पास ९९ प्रतिशत के मुकाबले संपत्ति का आंकडा भारत में तेजी से बढ़ता जा रहा है | सन २००० में ३७ गुनी , सन २००५ में ४२ गुनी ,सन २०१० में ४८ गुनी, सन २०१२ में ५२ गुनी ,अब सन २०१७ में ७० गुनी हो गई | गरीब और अमीर के बीच की बढ़ती खाई का यह प्रतिशत हमारे विश्वख्याति के माननीय प्रधान मंत्री जी को देखना और विचार करना होगा |
ग्रामीण विद्दुतीकरण (सर्वे )की रिपोर्ट के अनुसार गाँव में पहुचाई गई विजली में सिर्फ ८ प्रतिशत लोगों ने विद्दुत कनक्शन लिया है क्यों कि उन्हें २०००-३००० की प्राथमिक कनेक्शन राशि देने के लिए ग़रीबों के पास पैसे नहीं हैं | गावों में विजली नाम मात्र की आने के कारण से कोई इसमें फंसना नहीं चाहता | हम समझते हैं इस ओर सरकार का ध्यान अवश्य जाएगा जिससे जमीनी स्तर पर कार्य का सम्पादन होगा | वर्तमान में ऐसा विश्वास किया जा सकता है |
"खुले में शौच मुक्त "- ग्रामीण इलाके का अध्ययन करने से ज्ञात होता है कि मानो सारी योजना मात्र वाराणसी के इर्द -गिर्द रह गई | पास में अम्बेडकर नगर है | आजमगढ़ ,जौनपुर ,मिर्जापुर ,गाजीपुर ,इलाहाबाद और अम्बेडकर नगर है | अम्बेडकर नगर इन सब इज्जतघर जैसी योजना कोरे कागज में ही होगी | जमीनी पटल पर नही दिख रही | गाव की महिलायें खुले में शौच जाने के लिए मजबूर हैं | जनता इज्जतघर के प्रति जागरूक है | परन्तु अभियान और गरीब के पैसे पर ग्राम प्रधान सहित सरकारी तपका अपनी सुबिधा बढाने ,गुलछर्रे उड़ाने से अपने को अलग नहीं कर पाया |
प्रधान सेवक ने संसद प्रवेश के पूर्व संसद की ड्योढ़ी पर मत्था टेका | भाइयों-बहनों कहा | मन की बात कही | स्वच्छ भारत के लिए झाडू -पोछ भी किया | सर्जिकल स्ट्राइक कराया | नोट बंदी की |जी.एस.टी. लायी | ग़रीबों के बैंक खाते खोले गये | एल. पी.जी. पर सब्सीडी दी |लाखो युवावों को प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना में ट्रेनिंग दिलाई | यह और बात है कि तीन लाख युवा भी नौकरी न पा सके हों |धैर्य बनाये रखें |इन सब बातों के दूरगामी परिणाम अच्छे आयेंगे | पूरा देश खुश हो जाएगा |
पब्लिक स्कूलों की बात ही निराली है | अभिभावकों का बच्चे के पढ़ाने के नाम पर जनता को निचोड़ रहे है | असंस्कारिक और लार्ड मैकाले की शिक्षा को परोस रहे हैं | घर-घर में घुसेड रहे हैं | समय आने पर इन सबका इलाज होना संभव है | प्राइवेट नर्सिंग होम आजकल जगह -जगह गली -मोहल्ले में कुकुरमुत्ते की भाँति उग आये हैं | समाचार पत्रों और जनता से ज्ञात होता है कि गायब हुये गरीब बच्चों की किडनी तक निकाल कर विदेशों तक बेचीं जा रही | इलाज सर का करना है पेट चीर दिए जाते हैं | नार्मल डिलवरी हो जाती ,परन्तु पेट चीर कर पैसे की उगाही आम हो चली है |
सरकारी डाक्टर मरीजों को निश्चित दवा की दूकान से दवा लेने को बाध्य करते हैं | निजी प्रेक्टिस की भी चलन में लगे रहते हैं | सरकार घोषणा करती है | लाइसेंस रद्द हो जाएगा आदि -आदि |
हम धीरे -धीरे ,कभी तेज गति से,बस द्वारा कोणार्क सूर्य मंदिर आ गये | सूर्य मंदिर देखने के लिए खिड़की से टिकट लिया | आगे बढे | कोणार्क के चारो ओर करीब चार -पांच मील दूरी पर मूल गाँव बसे हैं | कोदार्क सूर्य मंदिर को ब्लाक पागोडा कहा जाता है | यह लामुला नरसिंह देव द्वारा त्रयोदश शताब्दी में बनवाया गया है| पूरा मंदिर केवल पत्थरों से निर्मित है | सभी पत्थर आयरनी और चुम्बकीय हैं | एक दुसरे से चिपके हैं | ज्ञात किया | ज्ञात हुआ | गाइड और पुरनियों द्वारा | मंदिर के बीचो बीच एक बड़ा चुम्बक रहा |
अंग्रेजों के शासन काल में उसे अंग्रेज उठा ले गये | विशाल चुम्बक अपने साथ | अंग्रेजों के शासन काल में हुआ यह कि उनके समुद्री जहाज आगे बढ़ ही नहीं पाते थे | जो भी जहाज उधर से गुजरना चाहते थे | अंग्रेजों ने जानना चाहा | असलियत ,आखिर क्यों मेरी सभी जहाजें दिग्भ्रमित हो जा रही है | समुद्र के किनारे लग जा रही हैं | सूर्यमंदिर के ही आस-पास | पता लगाते -लगाते अधिक समय गुजरा | अंग्रेजो के पास नई तकनीक उस समय रही | वर्तमान तकनीक तो नहीं थी |
उड़ीसा के ढेकानाल में सितम्बर हिंदी पखवाड़ा पर मुख्य वक्ता सुखमंगल सिंह द्वारा एन एन महाराणा को सम्मान / सील्ड प्रदान करते हुए |
दैनिक समाचार प्रमेय ओडिया दिनांक १९ /०९/२०१७ पृष्ठ १३ अनमोल ढेकानाल संस्करण !
अंग्रेजों ने चुम्बक तोडवाया | जब उन्हें बड़े चुम्बक होने की सही जानकारी मिली | उसे अपने साथ इंगलैण्ड लेते गये | चुम्बक के ऊपर एक बड़ा शेर स्थापित था | मंदिर से चुम्बक निकालते समय शेर पृथ्वी पर गिर गया | वह विशाल शेर मंदिर के पीछे टूटा पडा है | एक तरफ से पूरा टूटा है | टूटा हुआ शेर आज भी पृथ्वी पर मंदिर के एक किनारे मंदिर से चुम्बक निकालने की गवाही दे रहा है | पास में एक कूप है | वृक्ष और वृक्ष के चारो तरफ चबूतरा निर्मित है | यात्री (दर्शनार्थी ) गर्मियों में कुछ देर चबूतरे पर बैठकर विश्राम कर लेते हैं | कूप का निर्मल जल कुछ लोग पी लेते हैं | हमने और मेरे यात्रा संगी कवि अजीत श्रीवास्तव ने भी उस जल को पीया | मुझे वह ठंढा जल निर्मल और गाव जैसा लगा | सन २०१५ में जब मैं अपनी पत्नी उर्मिला के संग दर्शन करने गया था तो भी हम दोनों ने उस निर्मल जल का पान किया | पद पाद्य भी किया था | जब कि उस समय भी सितम्बर का महीना था | मैनें पानी का एक बोतल पहले से ही पीने के लिये ले रखा था |
कोणार्क मंदिर का निर्माण शैली सात पहियों पर एक रथ जैसा है | वह एसा तैयार किया गया है कि मानों एक पृथ्वी से आकाश के उडनें के लिए तैयार हुआ | कोणार्क की भौगोलिक स्थिति अत्यंत गुरुत्व पूर्ण है| सूर्योदय के साथ इसका संपर्क व

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