Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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कुछ गीत अधूरे सालने दो

 

1- कुछ गीत अधूरे सालने दो ,
दृष्टिगोचर शक्तियाँ पलने दो |
जीवन श्रेष्ठ साधना होती
अंतर्मन-महाशक्ति पलने दो |
२-हॉत न सब दिन एक सामान ,
यही तो विधि का विधान !
इंसा तो बुद्धि का निधान ,
गर वह करे सबका कल्याण |
३- गर जमाने में बात करें कतरे
भी समंदर की तरह !
तो लोग भी बदल जायेंगे ,
एक सुन्दर कलंदर की तरह |
४- ताने मारी बाजियां ,
नियरे निगम निहार !
खोलन चल्यो आसमाँ,
आँगन खुल्यो हमार |
५- कलम की दीवानी में रवानी रच गयी
पाषाण बनने की कोई कहानी कह गई!
अनवरत आकाक्षाएँ इक्षाएं बढती गयी ,
आबरू उपकारसा साहित्य में उतरती गयी |

--
Sukhmangal Singh

 

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