Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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ढोंगी बाबा

 

अहम ने बहम पाल रखा ,
सारा कारवां साथ रखा |
कलह जिन घरो मे थी,
डेरा में नाम लिखा रखा |
मूढ़ कथा गढ़ता वह ज्ञानी ?
चटक मरहम लगा रखा |
सुंदरियों से सेवा लेता ,
रूप साध्वी का दिखा रखा |
सर्द हवाओं और भूख में,
काम क्षुधा मिटा रखा |
संता कहाने वाला ढोंगी ,
वर्षों से आश्रम चला रखा |
पापका घडा भरा उसका ,
किला लाल दिखा रखा |

 

 

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Sukhmangal Singh

 

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