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सफ़र कफ़न तक का

 

द्वारा
सुधीर बंसल

 

 

 

जो नहीं सिखाया जायेगा, वह कभी सीख नहीं पायेगा।
अंतर्मन की सारी बातें, खुद भी समझ नहीं पायेगा।
जो भी करना नहीं चाहेगा, वह ही करना पड़ जायेगा।
मन तेरा क्या ढूंढ रहा है, कैसे इसको समझ पायेगा।

 

 

 

नीयत और लालच मिलकर, अपना ही हित दिखा रहे हैं।
खुद को उसमें शामिल कर, नित नया मतलब बता रहे हैं।
अब यह तुझको भटकायेंगे, मकसद पर नहीं ला पाएंगे।
सफ़र कफ़न तक का तेरा, बिन मकसद कर जायेंगे

 

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