Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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युँ बात करते करते अटकना नही अच्छा

 

युँ बात करते करते अटकना नही अच्छा।
यादोँ की राह मे युँ भटकना नही अच्छा।


दिल पे जो लगे बात वो करती है गमजदा।
दिल मे किसी की बात खटकना नही अच्छा।


 

बेईमानी का एक दाना हिला देता है अतडी।
बेईमानी का नीवाला गटकना नही अच्छा।


 

आवाज से हो जाये ना सन्नाटे मे हलचल।
शीशे से तेरे दिल का चटकना नही अच्छा।


 

बिन पीये ही कहलाओगे मशहुर शराबी।
पैरोँ का तेरे ऐसे छटकना नही अच्छा।


 

दे दो इन्हे सहारा इन्हे छोड ना जाओ।
बच्चोँ का ऐसे हाथ झटकना नही अच्छा।


 

छोडो भी प्यार व्यार ये कुछ कर लो इबादत।
युँ प्यार मे सर अपना पटकना नही अच्छा।


 

आ जाओ रे परदेशी तुझे ढुढे हैँ अम्मा।
युँ शहर शहर तेरा भटकना नही अच्छा।


 

जब नाचते ही हो तो गिरिजा,लच्छु सा नाचो।
सिर पैर के बिना ही मटकना नही अच्छा।


 

बनना है जो सलमान किसानो की कर मदद।
जिम जाके तेरा उल्टा लटकना नही अच्छा।

 

 

।शिव।

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