Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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तुम्हें देखकर

 

एक मुस्कान ठहरी है तेरे होठों में
जरुर किसी ने सपनो को गुदगुदाया होगा
नहीं है चहरे में कोई काला बादल
वफ़ा के गीत फिर कोई
तेरे कानों में गुनगुनाया होगा

 

माना की तल्ख़ है जिंदगी का सफ़र
जीने के लिए हौसला चाहिए
मंजिल दूर नहीं होती सपनो की
जंग लड़ने का फैसला चाहिए
तुम बहुत मासूम हो,पाक इरादे हैं
जिंदगी की वादियों में तैरते वादे हैं
लगता है पढ़ लिया जिंदगी की किताब
किसी लफ्ज ने तुम्हें भरमाया होगा

 

देख रहा हूँ शोखियाँ तेरी आँखों में
खिल रहे फूल जैसे चाहत की शाखों में
संजीदा चहरे पे नूर आ गया है
जैसे जिंदगी में जीने का सुरूर आ गया है
वक्त ने फिर सपनों को सहलाया होगा

 

 

 

शिव कुमार यादव

 

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