Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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दूर से चाँद तडपता हुआ देखा मैंने

 

दूर से चाँद तडपता हुआ देखा मैंने....
आज जब उनको सिसकता हुआ देखा मैंने....

 

रुख पे टपका वो निगाहों से जब मोती बनकर....
अश्क को आज महकता हुआ देखा मैंने....

 

रात घूंघट जो उठाया तो उनके माथे पर....
एक सूरज सा चमकता हुआ देखा मैंने....

 

शायर राज बाजपेयी

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