Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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खाली सा वो इक कोना रह गया

 

खाली सा वो इक कोना रह गया
दिल बनकर इक खिलौना रह गया।

 

लफ़्ज घुटते रहे दिल में गुबार बनकर
इज़हारे मोहब्बत का होना रह गया।

 

तकिया राज़दार बन गया अब मेरा
बाहों के तकिये में सोना रह गया।

 

नींद भी नही लाती अब ख्वाब तुम्हारे
सूना सूना सा मेरा बिछौना रह गया।

 

सो जाती है चूड़ियाँ बिना बात किये ही
खिलखिलाकर उनका खुश होना रह गया।

 

जलती रही दिल में इक आग सी सदा
उस आग का अभी राख होना रह गया।

 

दर्द की स्याही फैलती ही गयी
दागदार आँचल का धोना रह गया।

 

 

सरिता पन्थी

 

 

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