Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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ओ री गौरैया

 
ओ  री गौरैया  अंगना में आजा  तू 
गौरेया  इंसानों के साथ रहने वाला पक्षी वर्तमान में विलुप्ति की कगार पर जा पहुंचा है । ये छोटे -छोटे कीड़ों को खाकर प्रकृति का संतुलन बनाए रखने में सहायक है । गोरैया के  कम होने का कारण विकिरण का प्रभाव तो है ही। इसके  अलावा उनकी देखभाल पर इंसानों का ध्यान कम देना रहा। पाठ्यक्रमों में  , दादी -नानी की सुनाई जाने वाली कहानियों में और फ़िल्मी गीतों,लोक गीतों ,चित्रकारी आदि में गोरैया का जिक्र सदैव होता आया है । घरों में फुदकने वाला नन्हा पक्षी प्रकृति के उतार - चढाव को पूर्व आकलन कर संकेत देता आया है । सुबह होने के पूर्व चहकना ,बारिश आने के संकेत -धूल में लौटना ,छोटे बच्चे जो बोलने में हकलाते है-उनके मुहँ के सामने गोरैया को रखकर हकलाने को दूर करना हालांकि  ये टोटका ही माना जायेगा ।खैर , चित्रकारी में तो सबसे पहले बच्चों को  चिड़िया (गोरैया ) बनाना सिखाया जाता है । कहने का तात्पर्य  ये है की गोरैया इंसानों की सदैव मित्र रही और घर की सदस्य भी । क्यों ना हम गौरैया के लिए व अन्य पक्षियों के लिए गर्मियों के दिनों में छांव ,पानी ,दाना की व्यवस्था कर पुण्य कमाए । किसान अपने खेत में कुछ  हिस्सों में बाजरा भी लगाते है उनका उद्देश्य  गौरैया के प्रति दाना प्रदान करना रहता है । गौरैया की सेवा को गर्मियों में एक बार  आजमा  के देखों मन को कितना सुकून मिलता है ।इन्ही कुछ आसान उपायों से फिर से घरों में फुदक सकती है । हम सब की  प्यारी गौरैया । 

मेरी दोस्त गौरैया

दस्तक  मेरे दरवाजे पर
चहकने की तुम देती गौरैया
चाय,बिस्किट लेता मैं
तुम्हारे लिए रखता
दाना-पानी
यही है मेरी पूजा
मन को मिलता सुकून
लोग सुकून के लिए
क्या कुछ नहीं करते
ढूंढते स्थान
गौरैया का घोंसला
मकान के अंदर
क्योंकि वो संग रहती
इंसानों के साथ
हम खाये और वो घर में
रहे भूखी
ऐसा कैसे संभव
दान और सुकून
इन्हें देने से स्वतः
आपको मिलेगा
हो सकता है हम
अगले जन्म में बने गौरैया
और वो बने इंसान
दोस्ती - सहयोग
कर्म के रूप में
साथ रहेंगे|

संजय वर्मा 'दृष्टि' मनावर जिला धार मप्र 



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