Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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पृथ्वी

 
पृथ्वी

पृथ्वी पर
सूर्यास्त होता ये भ्रम
वर्षो से पाले है हम
पृथ्वी के झूले में
हम सभी झूल रहे
घूम रहे
ऋतु चक्र का आनन्द लिए
घूमते जाने से
सूर्योदय -सूर्यास्त की राह
देश विदेश में
होती अलग अलग।

पृथ्वी तो आज भी पृथ्वी 
जो घूम रही ब्रह्माण्ड में 
पृथ्वी पर ही जग जीवित
पंचतत्व अधूरा।

हे पृथ्वी माता
हमने वृक्षों के आभूषण से
तुम्हें सजाया 
तुम्हे पूजा है।

संजय वर्मा "दृष्टि "
125 बलिदानी भगत सिंह मार्ग
मनावर जिला -धार (म प्र )

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