क्या खोया क्या पाया
बिना टोटी के नल से
बहते जल को देख
जल कह रहा
इंसान से
व्यर्थ क्यों ढोलता मुझे
आवश्यकता होने पर
तब खोजता मुझे।
बादलों से छनकर मै
जब बरसता
इंसान सहेजना ना जानता
इसलिए तरसता है।
ये माहौल देख के
नदियाँ रुदन करने लगती
उनका पानी आसुओं के रूप में
इंसानों की आँखों में भरती है।
जल कहे
मुझे व्यर्थ न बहाओ
मुझे खो दिया तो
जल कहाँ से पाओगे
जल ही जीवन है
ये बातें इंसानो को अब सब
समझाओ ।
संजय वर्मा "दृष्टि
125 ,शहीद भगत सिंह मार्ग
मनावर जिला धार (म. प्र )
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