खो गई है बेटियाँ
नन्ही हथेली में
पकड़ना चाहती है चाँद को ।
जिद्दी करके
पाना चाहती चाँद को ।
छुप जाता है जब
माँ को पुकारती पाने चाँद को ।
थाली में पानी भरकर
परछाई से बुलाती माँ चाँद को ।
छपाक से पानी में
हाथ डाल पकड़ना चाहती चाँद को।
छुपा-छाई खेलते हुए
बिटियाँ पा जाती है चाँद को ।
चाँद तो अब भी आकाश में
बिटिया कम हो गई पाने चाँद को ।
कम हो गई बेटियां
माँ कैसे कहे ये बात चाँद को ।
संजय वर्मा 'दृष्टि '
125, बलिदानी भगत सिंह मार्ग
मनावर जिला -धार (म प्र )
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