Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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खत

 
खत

खत रुला भी सकता 
यादें जुडी हो 
खत कोई ऐसे ही नहीं होते 
बोल  दिया  यानि 
एक से सुना दूसरे से निकाल दिया 
विचारो से शब्दों का ऐसा सम्मोहन 
जिसे हजारो साल बाद भी पढ़ों 
तो लगे जैसे आज की बात हो 
मृत्यु से परे शब्द 
इसलिए तो अमर है 
शब्दों को जन्म देते  
कलम 
और कागज 
प्रेम का खत 
प्रेयसी लिफाफे के किनारों पर लगे गोंद को 
अपने होठो  से चिपकाती 
वो बात इलेक्ट्रॉनिक दुनिया में कहाँ 
खत संदूक /किताबों में 
ईश्वर की तरह पूजे जाते 
आखिर प्रेम ही के ढाई अक्षर 
ताउम्र साथ रहते 
और दिल के कोने में
प्रेम का भी मकां रहता। 

संजय वर्मा 'दृष्टि  "
125 बलिदानी भगत सिंह मार्ग 
मनावर जिला धार 




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