Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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फिर आई है हिचकी

 
फिर आई है हिचकी              


स्त्री हिचकियाँ की सखी साथ फेरो का संकल्प दुख सुख  की साथी एकाकीपन  खटकतापरछाई नापता सूरज पहचान वाली आवाजों में खोजता मुझे दी जाने वाली तुम्हारी जानी  पहचानी पुकार  आँगन -मोहल्ले में सुनापनविलाप के स्वर तस्वीरों में कैद छवि सदा बहते अश्रु  तेज हो जाते तुम्हारी पुण्य तिथि पर
दरवाजा बंद करता  खालीपन महसूस अकेलापन कचोटता  मन बिन तुम्हारे हवाओं से उत्पन्न आहटे देती संदेशा मै  हूँ ना मृत्यु नाप चुकी  रास्ता अटल सत्य का किन्तु सात फेरों का संकल्प सात जन्मों का छोड़ साथ कर जाता मुझे अकेला फिर आई है हिचकी क्या तुम मुझे याद कर रही हो ?
संजय वर्मा"दृष्टि"125 शहीद भगत सिंह मार्ग मनावर जिला धार (म प्र )

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