Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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ये मेरी इच्छा,ये मेरी इच्छा

 

ऐसा लड़का गोरा ,ऊँचा, जबान इतना की मानो बीस-पंचीस लोगो के पास खड़ा हो तो अलग ही नजर आ जाए......

जसवंत की पढ़ाई मे ज्यादा इच्छा ना थी उसका तो ध्यान सिर्फ फुटबॉल खेल ने मे ही लगता था।उस के गाँव मे लोग फुटबॉल को ही पहल देते थे।कभी कभी वो कालज की तरफ से स्टेट लेवल पर खेलने जाता ।

एक दिन की बात हैं.......

उसे शहर में मनोज नाम का एक व्यक्ति मिला ।उस से कहने लगा, "जसवंत तू पढ़ाई पर ध्यान दिया कर ,जसवंत ने आगे इज्जत से कहा "चाचा अगर मै पढ़ाई मे ज्यादा अच्छा नहीं हूँ तो मेरी पढ़ाई ज्यादा कमजोर भी नही है, आप ने मेरा कभी फुटबॉल का मैच देखा नही होगा "।

उस व्यक्ति ने कहां "ऐसी बात नहीं है हमने कई बार तेरा मैच देखा है,तेरे आगे तो दस खिलाड़ी नहीं टिकते ,तू तो मैदान में दुसरी टीम के छक्के छुड़ा देता है"ऐसा मैंने कई बार देखा है"।

कुछ समय बाद.......

अब जसवंत 12वी कक्षा पास कर चुका था।शहर के कालज में दाखिल हो चुका था।शहर के टूर्नामेंट में भाग लेता उनकी टीम पहला स्थान हासिल कर लेती ।पिता सरकारी स्कूल में अध्यापक था एक दिन अचानक उसकेपिता की सड़क हादसे मे मौत हो गई।अब जसबंत और उसकी माँ अकेले रह गए।जसबंत ने पढ़ाई छोड़ दी।घर पर रहने लगा और अपने खेतों की देखभाल करने लगा ।

माही नाम की लड़की अक्सर उनके घर पर आती जाती थीं। पड़ोसी होने के कारण कभी-कभी थोड़ी बहुत चीजें माँग कर ले जाती।माही जसबंत की माँ के साथ खेती का काम करवा जाती।उनके खेतों में आम के लगभग दस पेड़ खड़े थे ।जब मौसम आता वो आम के खड़े पेड़ों को व्यापारी को बेच देते। जिनकी आमदनी से घर का गुजारा अच्छा चलता ।

एक दिन जसबंत किसी मित्र की शादी में गया था।वहाँ पर बहुत ज्यादा खुशी का महोल था।उसके मित्रों ने उस को भी मना करने पर भी एक दो पैग जाम के लगावा दिए।जसबंत ने उस दिन पहली बार शराब पी थी।रात होते ही वो घर वापस लौट आया ।जब वो सुबह उठा उसका सर बहुत ज्यादा दर्द करने लगा ।उसने अपने आप से कहा "कितनी बुरी चीज है,पी लो तो आराम जब उतर जाएँ तो आदमी बेचैन"।

माही ने भी बी,ए पास कर ली थी। परंतु कोई नौकरी न की।अब वो जसबंत के घर और ज्यादा आने जाने लगी ।जसबंत और माही जब एक दूसरे को देखते उनमें प्यार करने की इच्छा जाग पड़ती ।माही कुछ कहें बिना ही अपने घर लोट आती ।
एक दिन घर पर जसबंत की माँ कही गई थी तो उनकी मुलाकात हो गई। उस दिन के बाद माही कहती "जसबंत शादी तो मेरी तेरे साथ ही होगी,मैं तुमसे बहुत ज्यादा प्यार करती हूँ । उनका प्यार सारी हदें पार करने लगा ।

एक समय ऐसा आया की उनके प्यार की चर्चा गाँव होने लगी।जसबंत की माँ को पता चल गया।उसकी माँ ने जसबंत से कहा "गाँव में तेरे पिता जी की कितनी इज्जत अब भी हैं अगर तू वो लड़की के साथ शादी करेगा, वो लड़की ओर जाती की है, वो एक गरीब घर की लड़की है और तू आपने पिता के बारे मे सोच की उनकी कितनी इज्जत थी,मैं तेरी शादी अमीर घर में ही करूँग, मेरी ये इच्छा है तू इस लड़की से शादी नहीं करेगा तेरे तो कोई भी लड़की दे देगा"।

यह बात सुनकर जसबंत सोच मे पड़ जाता है

उधर माही ने भी आपनी माँ को कह दिया की वो सिर्फ शादी करेगी तो जसबंत से भरना जान दे देगी।माँ को तो उस ने मना लिया पर वो आपने पिता को ओर भाई को नहीं मना पाई।उनके घर मे झगड़ा का माहौल बन गया।माही की माँ ने पिता को तो मना लिया परंतु भाई को न मना सकी।ये सारी बातें उसने जाकर दूसरे दिन जसबंत को बताई।जसबंत ने सारी बात सुनकर एक ही बात कही, "मेरी माँ की इच्छा है हमारी शादी नहीं हो सकती "

माही बिना कुछ बोले वापस आ गई वो सोचती रह गई की जसबंत उसे कैसे से धोखा दे सकता है ।उसकी माँ ने तो मेरे साथ ऐसी कभी बात ना की।माही उदास रहने लगी उस ने पिता से कहां आप जहाँ चाहते है वहाँ शादी कर दे मेरी ।

अब जसबंत ओर उसकी माँ के बीच छोटी मोटी बात पर तकरार होने लगी।माही के पिता के कहने पर रिश्तेदारों ने माही के वर ढूँढ कर शादी कर दी।जसबंत की माँ को तो पता था की माही शादी करने या रही किन्तु जसबंत को ये बात पता न चली।शादी से पहले ही उसकी माँ ने काम के लिए बाहर भेज दिया ।जसबंत सोच भी नहीं सकता था माही ऐसा इतनी जल्दी फैसला ले सकती।जसबंत ने वो बात इसलिए कहीं थी की वो माँ को मना लेगी ।जसबंत के पिछे से माही ने शादी कर ली।

जब जसबंत को ये बात पता चली वह बुरी तरह टूट गया।वो अब घर से बाहर रहने लगा ।अपने दोस्तों को माही की बातें बतात।धीरे-धीरे खूब नशा करने लगा माही का गम भूलने के लिए।कभी कभी घर आता पैसों की तंगी के कारण खेत गिरवी रख देता उन पैसों का नशा कर लेता ।

उस की नश की आदत बढ़ चुकी थी ।कभी कभी गाँव के लोग उसकी खराब हालत के कारण उसे नशे के हालत मे अस्पताल मे ले जाते ।वो दवाओं से ठीक तो हो जाता लेकिन फिर नशा ले लेता ।समय के साथ वो निर्धन हो गए इसी कारण आपने बेटे के नशे की लत की फिक्र लगी रहती माँ भी चिन्ता करके बिमार रहने लगी।

समय ऐसा बुरा आया की एक रोज़ उसकी माँ की भी मृत्यु गई उस गाँव के लोगों ने शमशान में आग दे दी।

जसबंत अपनी माँ की चिता के पास बैठा कह रहा था "मैं उस लड़की से शादी नहीं करूँ, ये माँ तेरी इच्छा थी, मैं उस लड़की से शादी करूँ ये मेरी इच्छा थी।

जसबंत के पास बोतल घर पर दोनों रह गए।

 

 

 

संदीप कुमार नर

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