Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मय नही मै हमसफर हूं

 

मय नही मै हमसफर हूं ,
मुझको लेकर साथ चल.
मेरा ही लेकर सहारा काटी सारी उम्र है,
मैं दवा हूं तेरे गम की
मत. मुझे बदनाम कर.
लाख रुसवा लोग कर ले
फिर भी मैंआबाद हूं
रख लगा के लब से मुझको
यूं न अब बरबाद कर.
मयखाना ही घर खुदा का,
कर इबादत तू यहॉं पर.
बुझ न जाए शमा दर की .
तू इसे गुलज़ार कर.
रूपा
बुझ

 

 

 


Rupa Sharma

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