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Dr. Srimati Tara Singh
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कांच के जज्बात, हिम्मत कांच की

 

रवीन्द्र प्रभात

 

कांच के जज्बात, हिम्मत कांच की
यार ये कैसी है इज्जत कांच की ?

 

पालते हैं खोखले आदर्श हम-
माँगते हैं लोग मन्नत कांच की

 

पत्थरों के शहर में महफूज़ है-
देखिये अपनी भी किस्मत कांच की

 

चुभ गया आँखों में मंजर कांच का-
दब गयी पाने की हसरत कांच की

 

सोचिये अगली सदी को देंगे क्या
रंगीनियाँ या कोई जन्नत कांच की ?

 

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