Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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ख़्याल

 
  • नरम ख्यालों ने तेरे , तसव्वुर को सहलाया,
    मुकम्मल हुई तस्वीर, रंगो का मौसम आया,
    महकते अल्फ़ाज़ मेरे, गवाह रहे मुसलसल,
    चलो ख्वाब में ही सही, कभी तो तुम्हें चाहा ।

 

 

 

 

  • खुद से खुदी को ,तू ज़ुदा कर ले,
    बच गयी ख़ुशी तो, तू खुदा कह ले ।

 

 

 

' रवीन्द्र '

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