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डायरी से (२)..

 

.. राजकुमार गौतम

 

 

29 जुलाई, 2014; केन्द्रीय विहार- 2, नोयडा; प्रातः 09.25 बजे.

 

 

आज ईद है. छोटे शहरों में त्यौहारों की उपस्थिति अधिक दीखती है. इस तरह की चहारदीवारी वाली बसावटों में नहीं के बराबर! यह भी अलग बात है कि प्रेमचंद के जन्मदिवस के एक दिन बीच में होने से (31 जुलाई) उनकी कहानी `ईदगाह` की याद खूब आती है. अपने ईदी के पैसों से, दादी की तवे पर जलती उँगलियों को बचाने के लिए हामिद चिमटा खरीद लाता है. बहुत ही मार्मिक है यह कहानी.

 

 

कमल किशोर गोयनका हिंदी के ऐसे अधिकारी विद्वान हैं जिन्होंने प्रेमचंद पर सबसे अधिक शोध और अध्ययन किया है. गाहे-ब-गाहे उनसे बातें भी होती रहती हैं. कुछ माह पूर्व उन्होंने अपनी पुस्तक `प्रेमचंद की कहानियों का कालक्रमानुसार अध्ययन` की मानार्थ प्रति भिजवाई है. कुल 760 पृष्ठों की इस पुस्तक में प्रेमचंद की कहानियों को सार-संक्षेपतः पढ़ने और परखने का भी अवसर साहित्य रसिक पाठकों को मिलेगा. उनके अनुसार प्रेमचंद के सम्पूर्ण कथा संचयन का यह ऐसा "पहला प्रामाणिक अध्ययन है, जो प्रत्येक कहानी को कालक्रम में देखता और परखता है तथा कहानी के पूर्वापर संबंधों के रहस्यों को भी उद्घाटित करता है. कोई भी कहानी हो, श्रेष्ठ या साधारण , अच्छी या बुरी, उसे इस अध्ययन में समान रूप से महत्व दिया गया है और कहानी की संवेदना, उसकी आत्मा तथा लेखकीय दृष्टिकोण का विवेचन किया गया है और इस प्रकार प्रेमचंद की उपलब्ध 298 कहानियों की रचना-प्रक्रिया, उनकी मूल चेतना, उनके युग-संदर्भ तथा लेखकीय अभिप्रेत की , कहानी के पाठ के आधार पर, समीक्षा की गयी है, किन्तु यह काम प्रमाणों तथा तथ्यों एवं तर्कों के आधार पर किया गया है."

 


इसी पुस्तक के `उपसंहार` में कमल किशोर गोयनका यह भी लिखते हैं कि प्रेमचंद के 29 वर्षीय कहानी लेखन में (वर्ष 1909 को छोड़कर) कोई वर्ष-मास ऐसा नहीं है, जब उनकी कोई हिंदी-उर्दू कहानी किसी पत्र-पत्रिका में न छपी हो. वे यह भी कहते हैं कि प्रेमचंद की लगभग 301 कहानियों के लगभग एक हज़ार पात्रों की दुनिया, उनके धर्म-अधर्म, नैतिकता-अनैतिकता, न्याय-अन्याय, सुख-दुःख, प्रेम-वैमनस्य, संघर्ष-समझौता, मित्रता-शत्रुता, ध्वंस-निर्माण, उत्थान-पतन, पाप-पुण्य, सेवा-स्वार्थ, देशभक्ति-देशद्रोह, मान-अपमान, सहिक्षुणत -संकुचितता, हत्या-आत्महत्या, जीवन-मृत्यु, मध्ययुगीनता-आधुनिकता, भारतीयता-पाश्चात्यता इत्यादि का ऐसा मानवीय संसार समाया है कि उनके कहानीकार की अनुपम प्रतिभा, अनुपम गहरी दृष्टि और उसे अभिव्यक्त करने के कौशल का लोहा मानना पड़ता है.

 


`ईदगाह` कहानी में मियॉँ हामिद चिमटा लेकर पहुँचते हैं तो अमीना छाती पीट लेती है कि कैसा बेसमझ लड़का है कि कुछ खाया नहीं! लेकिन हामिद बताता है कि उसने चिमटा इसलिए लिया है, 'क्योंकि तुम्हारी उँगलियाँ तवे से जल जाती हैं'. अमीना का क्रोध स्नेह में बदल जाता है और वह हामिद के त्याग, सद्भाव और विवेक को देखकर रोने लगती है और दामन फैलाकर उसे दुआएं देती है. इस कहानी में हामिद अपनी बाल-इच्छाओं से अधिक अपनी दादी के कष्ट का ध्यान रखता है. गोयनकाजी कहते हैं कि 'चिमटा किसी समाजवाद का प्रतीक नहीं है, बल्कि वह मनुष्य की संवेदना का, आत्मत्याग का तथा दूसरों के कष्टों को दूर करने की आत्मिक लालसा का प्रतीक है.'

 


नटराज प्रकाशन , ए /98, अशोक विहार, फेज-प्रथम, दिल्ली- 110052 (फोन- 91-11-27219251) द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक की कीमत मात्र 230 रुपये है.

 

 

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