Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मेरा बचपन

 

कब छोड़ चला वो बचपन मुझको,
मुझको कुछ भी याद नहीं
क्या मांगू अब किसे पुकारूँ,
सुनता कोई फरियाद नहीं
नादानी थी ऊपर मेरे,
चाँद की मै हठ कर बैठा
रूठ गया है बचपन मुझसे,
तब से खोया सा मै रहता
रिमझिम बादल बरस पड़ते थे,
नौका कागज की मैं खेता
तितली जुगनू खेल खिलाते,
थक हार कर तब मैं सोता
कब छोड़ चला वो बचपन मुझको,
मुझको कुछ भी याद नहीं
क्या मांगू अब किसे पुकारूँ,
सुनता कोई फरियाद नहीं

 

 

 

 

 ............ रचना-राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'

 

 

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