Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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ओस की बूंदे...

 
ओस की बूंदे...

सोनू!मेरी जिंदगी हो तुम
वर्षों की मेरी तलाश हो तुम
बारिश की बूंदों में तुम हो
कुदरत की करिश्मा हो तुम
खुशी की आँसू हो तुम 
तिनकों में चमकती ओस की बूंदे हो तुम
मनकों में दमकती हीर हो तुम
फूलों की परागकण हो तुम
नव पल्लवित नव कोपल हो तुम
आसमां से बरसती तुषार हो तुम
मेरे अपने रिश्ते में तुम हो
पल पल हर पल में हो तुम
मेरे कल में आज में सब में हो तुम
मैं सशरीर में निहित पंचतत्व हो तुम
मैं जीव मेरी आत्मा हो तुम
मैं आत्मा मेरी परमात्मा हो तुम
मैं प्रस्तर हुँ मेरी स्वरूप हो तुम
कविता की तरह सरस मधुर हो तुम
रब की सबसे खूबसूरत हो तुम
खूबसूरती की कयामत हो तुम
सच में मेरी इनायत की इबादत हो तुम
मेरे जीवन की अमूल्य अमानत हो तुम
तन-मन और दिल पे करती हुकूमत हो तुम
मेरे हृदय रूपी राज्य की महारानी हो तुम
मन मंदिर में बसी देवी की मूरत हो तुम
                    *************
राजेंद्र कुमार पाण्डेय " राज "
प्राचार्य
सरस्वती शिशु मंदिर
उच्चतर माध्यमिक विद्यालय,
बागबाहरा
जिला-महासमुन्द ( छत्तीसगढ़ )
पिन कोड-493449
घोषणा पत्र- मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी कविता स्वरचित्व मौलिक है।

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