Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जीवन वो अपना तो मैने मिटा दिया

 

जीवन वो अपना तो मैने मिटा दिया ।
बस आस में ही जियूँ ये सिखा दिया ।।

 

कब तक रहूँ साथ बिन अब तु आ भी जा ।
मैं राह तकता रहा क्या पिला दिया ।।

 

आयी भी कितनी खुशी पास क्यों नहीं ।
तेरे लिए मैं सभी को भगा दिया ।।

 

ये राग जीवन जिया जाए कैसे अब ।
किस्से तेरे दिल को मेरे जला दिया ।।

 

पर आज भी पास आ जा अगर मेरे ।
सब गलतियां तेरी तो यूँ भुला दिया ।।

 

खातिर तेरे मेहँदी इंतजार में ।
बिन तेरे तो आइना इसे दिखा दिया ।।

 

है जान मेरी तेरे दिल अटक गयी ।
तू दूर रहकर मुझे क्यों सिला दिया ।।

 

आ देख तेरे बिना हाल क्या हुआ ।
हर याद में अश्रु को है जिला दिया ।।

 

है दिल तड़प अब तड़प ही रहा यहां ।
तड़पन को तड़पन से मानो मिला दिया ।।

 

 


----रघु आर्यन ----

 

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