Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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एक गुलाब मुझे भी दे दो

 

राह कठिन सा भर आने दो,
दुश्मन से अब भिड़ जाने दो ।
रहें सुरक्षित भारत माता,
एक गुलाब मुझे भी दे दो ॥

 



दूर देश में बैठ प्रेयसी,
आती यादें कैसी कैसी ।
जाने उससे कब मिल पाऊं,
शत्रु चाल में खो ना जाऊं ।
संबल मुझमें तुम आने दो,
एक गुलाब मुझे भी दे दो ॥

 

 

राह कठिन सा....

 

 

लिए तिरंगा, कंधे पर गन,
डटा शिखर पर, शून्य हुआ तन ।
नहीं कदम ये पीछे होंगे,
शत्रु सभी अब वापस होंगे ।
सरहद चिंता तुम जाने दो,
एक गुलाब मुझे भी दे दो ॥

 

 

राह कठिन सा....

 

 

दुश्मन से था दो चार रहा,
सहसा गोली सीने पार रहा ।
बिटिया सुनकर अब चीख रही,
मां ढांढस खुद ही बांध रही ।
हाल प्रेयसी तुम जाने दो,
एक गुलाब मुझे भी दे दो ॥

 

 

राह कठिन सा भर आने दो,
दुश्मन से अब भिड़ जाने दो ।
रहें सुरक्षित भारत माता,
एक गुलाब मुझे भी दे दो ॥

 

 

- - रघु आर्यन ---

 

 

 

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