Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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अनसुलझे सवाल कुछ तो सुलझा जाते

 
अनसुलझे सवाल कुछ तो सुलझा जाते,
एक बार तो अपनी झलक दिखा  जाते।

जैसे तुमने अपने मन को      समझाया,
मेरे मन को भी वैसे समझा        जाते।

हाल तुम्हारा लोग पूछते   हैं      मुझसे,
उन्हें कहूँ क्या ?इतना तो बतला   जाते।

फूल बिछाने वाले सबकी        राहों पर,
मेरे पथ पर काँटे   ही  बिखरा      जाते।

मैखाने में हम फिर करने     क्या   जाते,
जो तुम  आँखों से दो घूँट   पिला  जाते।

थी बच्चों की स्लेट  नहीं, मेरा दिल   था,
कैसे जाते जाते लिखा   मिटा      जाते।

मेरे जीते जी तो पास न     आ      पाये,
मेरी  मैयत  उठने  पर ही  आ       जाते।

अनसुलझे सवाल कुछ तो सुलझा  जाते,
एक बार तो अपनी झलक दिखा   जाते।

-गौरव शुक्ल
मन्योरा 

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