Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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चित्र चित्रण

 

चित्र चित्रण
छंद कुण्डलिया:

ढलता सूरज देखता, उगता नन्हा प्रात।
 अम्बर थामे अँगुलियाँ,  मानसून की बात।
मानसून की बात, दृष्टि केसरिया छाई,
हरा हुआ नतशीश, हरितिमा जो मुरझाई।
पिता पृत्र को देख, अँधेरा सहम सरकता।
बना रहे यह साथ, उगेगा सूरज ढलता।

--इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'
91, आगा कॉलोनी सिविल लाइन्स सीतापुर उत्तर प्रदेश।
 चलभाष: 9415947020
 

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